अस्पताल में 21 दिनों के इलाज का खर्च लाखों में आया है. मृतका के भाई सुमित अग्रवाल ने बताया कि अभी भी तीन लाख 45 हजार रुपये बकाया है. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि जब तक बकाया मेडिकल बिल का भुगतान नहीं किया जायेगा, तब तक पार्थिव शरीर रिलीज करना संभव नहीं है. मायके वाले आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए अस्पताल से मानवता के आधार पर शव को रिलीज करवाने की कोशिश कर रहे हैं.
सुमित ने बताया कि इतने महंगे अस्पताल में ससुरालवालों ने दाखिल कराया था. दाखिल करानेवाले पति व जेठ जेल में हैं. ससुर फरार है. मैंने कर्ज लेकर कुछ हद तक बिल चुकता करने की कोशिश की है, लेकिन अभी भी साढ़े तीन लाख रुपये बकाया है. मेरे परिवार के लिए इतनी बड़ी रकम का जुगाड़ करना संभव नहीं हो रहा है. हालांकि कानूनन कोई अस्पताल प्रबंधन बिल चुकता नहीं किये जाने पर शव को नहीं रोक सकता है. सुमित ने का कहना है कि इस संकट की घड़ी में मैं किससे गुहार करूं, यह मेरे समझ के बाहर है.