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मेडिकल कॉलेज में दाखिले के नाम पर 15 लाख ठगी

कोलकाता: यादवपुर के केपीसी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में दाखिला दिलाने के नाम पर 15 लाख की ठगी के आरोप में कोलकाता पुलिस के धोखाधड़ी विभाग की टीम ने एक महिला समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों के नाम शंबरण चक्रवर्ती उर्फ राहुल बोस (35) और निरा मित्र (34) बताये गये हैं. राहुल […]

कोलकाता: यादवपुर के केपीसी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में दाखिला दिलाने के नाम पर 15 लाख की ठगी के आरोप में कोलकाता पुलिस के धोखाधड़ी विभाग की टीम ने एक महिला समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों के नाम शंबरण चक्रवर्ती उर्फ राहुल बोस (35) और निरा मित्र (34) बताये गये हैं. राहुल को पाटुली इलाके के राजा सुबोध मल्लिक रोड और निरा को लेक इलाके से गिरफ्तार किया गया. बर्दवान के नियामतपुर निवासी प्रवीर कुमार चटर्जी ने इनके खिलाफ कसबा थाने में लिखित शिकायत दर्ज करायी थी. घटना के बाद दोनों को उनके घर से गिरफ्तार किया गया. अलीपुर कोर्ट में पेश करने पर अदालत ने दोनों आरोपियों को आठ अगस्त तक पुलिस हिरासत में भेजने का निर्देश दिया.

कैसे बनाते थे शिकार
संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) पल्लव कांति घोष के मुताबिक, पीड़ित छात्र के पिता प्रवीर कुमार चटर्जी ने पुलिस को बताया कि दक्षिण कोलकाता के कसबा के राजडांगा स्थित सरत पार्क में ये लोग कैरियर गाइडेंस नामक संस्था के जरिये ठगी का धंधा चलाते थे. ज्वायंट इंट्रेंस में कम रैंक से पास करने वाले छात्रों को अपना निशाना बनाते थे. उनका बेटा भी कम नंबर से उतीर्ण हुआ था.

गत जुलाई महीने में एक महिला ने उनके बेटे को फोन कर मैनेजमेंट कोटा के जरिये उन्हें केपीसी मेडिकल अस्पताल में उन्हें दाखिला दिला देने का आश्वासन दिया. इसके बदले उससे 15 लाख रुपये मांगी गयी. संपर्क करने पर भरोसा जितने के लिए वे लोग उनके बेटे को दाखिले के लिए केपीसी अस्पताल के बाहर बुलाया. यहां पहुंचने पर उन्हें दाखिला फॉर्म दिया गया. फॉर्म भर कर देने पर उनसे उक्त रुपये मांगे गये. प्रवीर का आरोप है कि रुपये लेने के बाद से उन दोनों ने उनसे दोबारा संपर्क नहीं किया. इसके बाद अंत में इसकी शिकायत उसने कसबा थाने में दर्ज करायी.

कई अन्य छात्र भी हुए हैं शिकार
पल्लव कांति घोष ने बताया कि जांच के दौरान दोनों को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया गया. दोनों ने पूछताछ में पुलिस को कई अन्य लोगों द्वारा इसी तरह से ठगी की बात कबूल की है. उन्होंने कहा कि छात्रों को ठगी से बचाने के लिए इसके पहले भी उन्होंने कॉलेज प्रबंधन से दाखिले की प्रक्रिया को सार्वजनिक करने का आवेदन किया था. जिससे किसी तरह के कोटे के माध्यम से नियुक्ति के बारे में छात्र व उनके अभिभावक जान सके. ऐसा करने पर इस तरह की ठगी से बचा जा सकता है.

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