-20 तक हलफनामा जमा करने का निर्देश कोलकाता. महानगर में चारों ओर प्लास्टिक का स्तूप जमा हो गया है. निगम इसकी सफाई को लेकर कुछ नहीं कर रहा. क्या वह सो रहा है ? यह सवाल करते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट ने कोलकाता नगर निगम को फटकार लगायी है. मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर व न्यायाधीश जयमाल्य बागची की खंडपीठ ने निगम को कहा है कि पानी के जमने से मलेरिया हो सकता है. लिहाजा जो लोग महानगर की साफ-सफाई के लिए जिम्मेदार हंै, वह सही तरीके से काम नहीं कर रहे. इसकी प्रक्रिया मजबूत होनी चाहिए. महानगर में अभी भी मलेरिया व जलजमाव की समस्या मौजूद है. पर्यावरणविद सुभाष दत्त ने महानगर में जलजमाव की स्थिति पर एक जनहित याचिका दायर की थी. उनका आरोप था कि समूचे महानगर में अनुमति के बिना ही प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है. इसकी वजह से महानगर के नालों और खाल के मुहाने बंद हो जाते हैं, जिससे जल निकासी की समस्या होती है. प्लास्टिक के कचरे की वजह से खाल की गहराई भी समय के साथ घट गयी है. मामले की सुनवाई के दौरान कोलकाता नगर निगम के वकील आलोक घोष ने कहा कि निगम ने प्लास्टिक के उपयोग को बंद करने के लिए कई परियोजनाएं अपनायी हैं. यह परियोजना अभी भी पूरी नहीं हुई है. अदालत ने इस पर कहा कि यह किस तरह से कार्यकारी होगी. इस संबंध में 20 फरवरी के भीतर निगम को अदालत में हलफनामा जमा करके बतानी होगी.
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प्लास्टिक की सफाई पर कोताही बरत रहा कोलकाता नगर निगम हाइकोर्ट ने निगम को लगायी फटकार
-20 तक हलफनामा जमा करने का निर्देश कोलकाता. महानगर में चारों ओर प्लास्टिक का स्तूप जमा हो गया है. निगम इसकी सफाई को लेकर कुछ नहीं कर रहा. क्या वह सो रहा है ? यह सवाल करते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट ने कोलकाता नगर निगम को फटकार लगायी है. मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर व न्यायाधीश जयमाल्य […]
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