आवेदनकारी पक्ष के वकील कौशिक चंद्र व लोकनाथ चटर्जी ने राज्य सरकार के दावे को खारिज करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार एमबीबीएस के क्षेत्र में 50 प्रतिशत कोटे की बात कही गयी है, लेकिन एमडी के क्षेत्र में यह नियम नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा व असम में यह आदेश कार्यकर नहीं होने के कारण इन राज्यों को खरी- खोटी भी सुनायी है. एमसीआइ के वकील सौगत भट्टाचार्य ने बताया कि राज्य सरकार का विज्ञप्ति एमसीआइ के नियमों के खिलाफ है. एमसीआइ के नियम में कोई कोटा सिस्टम नहीं है. इसलिए राज्य सरकार का यह विज्ञप्ति जारी करने का कोई अधिकार नहीं है.
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अब दूसरे राज्यों के छात्रों की भी होगी भरती
कोलकाता: राज्य सरकार की ओर से एमडी कोटा के तहत होनेवाली भरती के लिए अन्य राज्यों के छात्रों की यहां भरती हो सकती है. कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश दीपंकर दत्ता ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने इस संबंध में एक व चार दिसंबर 2014 को अधिसूचना जारी की थी, लेकिन […]
कोलकाता: राज्य सरकार की ओर से एमडी कोटा के तहत होनेवाली भरती के लिए अन्य राज्यों के छात्रों की यहां भरती हो सकती है. कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश दीपंकर दत्ता ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने इस संबंध में एक व चार दिसंबर 2014 को अधिसूचना जारी की थी, लेकिन फिलहाल हाइकोर्ट ने इस अधिसूचना के अनुसार भरती नहीं करने का आदेश दिया है. आगामी सोमवार तक सभी राज्य के साथ ही अन्य राज्यों के छात्र भी ऑनलाइन के माध्यम से फॉर्म भर पायेंगे.
राज्य सरकार ने विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा था कि बंगाल के बाहर अन्य राज्यों से आनेवाले एमडी छात्र राज्य सरकार के कोटा के तहत सुविधा का लाभ नहीं उठा सकते हैं. एमडी कोर्स के लिए वही छात्र आवेदन कर सकते हैं, जिनके पास बंगाल का डोमिसाइल प्रमाण पत्र हो. इस विज्ञप्ति के खिलाफ 271 एमबीबीएस छात्रों से हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी. मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार पक्ष के वकील प्रदीप दत्ता ने कहा कि विभिन्न राज्यों के छात्र राज्य के कोटा में भरती होने के बाद यहां सर्विस नहीं दे रहे हैं, वह अपने राज्यों में लौट जा रहे हैं. इससे यहां चिकित्सकों की संख्या नहीं बढ़ रही है. इसे रोकने के लिए ही राज्य सरकार ने यह अधिसूचना जारी की थी.
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