कोलकाता. संत तुलसीदास द्वारा रचित अद््भुत ग्रंथ है रामायण. इस ग्रंथ में भगवान श्रीराम के अद््भुत जीवन का वर्णन श्री तुलसीदास जी ने किया है. श्री हरि सत्संग समिति की ओर से आयोजित श्रीरामचरित मानस नवाह्न पारायण ज्ञानयज्ञ के दूसरे दिन नवलरामजी ने कहा कि तुलसीदास साधारण संत नहीं थे. भगवान श्रीराम की प्रेरणा से ही उन्होंने रामायण की रचना की. श्रीराम ने जंगल में बनवास के दौरान जहां दुखों का सामना किया वहीं कितनों का उन्होंने उद्धार किया. रावण साधारण राजा नहीं था. उसके संहार में रामजी को वानरों का सहयोग लेना पड़ा. हनुमाजी भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त थे. हनुमानजी ने सीता जी को खोजने से लेकर उनके अयोध्या तक पहुंचने तक दिन-रात श्रीराम प्रभु का साथ दिया. इससे यह प्रमाणित होता है हनुमानजी श्रीराम के अनन्य भक्त व सेवक भी थे. लक्ष्मण जी ने जिस तरह जंगल में भगवान श्रीराम का साथ दिया उससे यह संदेश मिलता है कि भाई को भाई जैसा रहना चाहिए. अर्थात सुख-दुख में साथ देना चाहिए. आज के जमाने में इसका प्रतिकूल असर देखा जा रहा है जो ठीक नहीं है. सज्जन बंसल, रमेश सरावगी, इंद्र कुमार मल्ल, बुलाकीदास मीमानी, हरिप्रसाद अग्रवाल, प्रदीप बसंल, विद्यासागर मंत्री, महेश अग्रवाल आदि ने नवलरामजी का माल्यार्पण कर आशीर्वाद लिया. संचालन पत्रकार प्रकाश चंडालिया ने किया.
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अद््भुत ग्रंथ है रामायण: नवलरामजी
कोलकाता. संत तुलसीदास द्वारा रचित अद््भुत ग्रंथ है रामायण. इस ग्रंथ में भगवान श्रीराम के अद््भुत जीवन का वर्णन श्री तुलसीदास जी ने किया है. श्री हरि सत्संग समिति की ओर से आयोजित श्रीरामचरित मानस नवाह्न पारायण ज्ञानयज्ञ के दूसरे दिन नवलरामजी ने कहा कि तुलसीदास साधारण संत नहीं थे. भगवान श्रीराम की प्रेरणा से […]
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