मालदा: असम में बोडो उग्रवादियों द्वारा आदिवासियों पर हमले के विरोध में आदिवासी संगठनों के मालदा बंद का कोइ असर नहीं हुआ.
शहर की सभी दुकानें आम दिनों की तरह ही खुली थीं. हालांकि इस दौरान आदिवासियों द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग 34 को जाम किये जाने का व्यापक प्रभाव पड़ा. दिन के 10 बजे से 12 बजे तक सड़क जाम किये जाने से सभी प्रकार के वाहनों की आवजाही बंद हो गयी,जिसकी वजह से आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.हालांकि आज वर्ष के अंतिम दन 31 जनवरी होने के कारण लोगों की आवाजाही कम थी.फिर भी जो लोग अन्यत्र जाने के लिए अपने अपने घरों से निकले थे,उन्हें काफी परेशान होना पड़ा.स्कूल कॉलेज भी बंद थे.
गाजोल के कदूबाड़ी मोड़ तथा पंडुआ के बीच आदिवासियों ने सड़क जाम कर दिया.हालांकि आदिवासी नेताओं ने बंद के सफल होने का दावा करते हुए कहा कि बंद शांतिपूर्ण थी और वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से बंद रही. दूसरी तरफ पुलिस अधीक्षक प्रसून बनर्जी ने बंद को पूरी तरह विफल बताया.उन्होंने कहा कि गाजोल में एक दो स्थानों पर आदिवासियों ने सड़क जाम करने की कोशिश की जिसे पुलिस ने विफल कर दिया. उन्होंने कहा कि कहीं से कोई अप्रिय घटना की खबर नहीं है और न ही बंद कराने को लेकर किसी की गिरफ्तारी हुई है.
आज आदिवासियों के सड़क जाम करने के दौरान आदिवासी नेता मोहन मुमरू, मोहन हांसदा,विश्वनाथ टुडू आदि उपस्थित थे. इन नेताओं ने असम में आदिवासियों के नरसंहार की निंदा करते हुए मृतक के परिजनों को सरकार से 10 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की. राष्ट्रीय राजमार्ग बंद किये जाने की सूचना मिलते ही पुलिस व ब्लॉक प्रशासन के कर्मचारी और अधिकारी पहुंचे और जाम को खत्म कराने में लग गये. काफी समझाने के बाद आदिवासी सड़क जाम खत्म करने पर सहमत हो गये.