कोलकाता: संसद की एक समिति ने अपनी रिपोर्ट में जूट पैकेजिंग नियमों में किसी प्रकार का बदलाव किये जाने का विरोध किया है. श्रम पर संसद की स्थायी समिति ने कपड़ा मंत्रलय की अनुदान मांगों पर अपनी दूसरी रिपोर्ट में यह बात कही है.
यह उस जूट उद्योग में कुछ विश्वास जगायेगा जिसमें अकेले पश्चिम बंगाल में तीन लाख कर्मचारी तथा 40 लाख किसान जुड़े हैं. एजेंसी के अनुसार समिति के सदस्य व सीटू के महासचिव तपन कुमार सेन ने कहा कि दूसरी रिपोर्ट हाल ही में संसद को सौंपी गयी है. इसमें जूट पैकेजिंग नियमों में किसी प्रकार का बदलाव किये जाने का विरोध किया गया है.
केंद्रीय वित्त मंत्रलय के नवंबर में कपड़ा मंत्रलय को भेजे एक नोट में कानून के प्रावधानों को हल्का करने तथा अगले दो साल के भीतर इसे पूरी तरह समाप्त करने की सिफारिश की गयी है. सेन ने कहा कि विदेशी मुद्रा कमाई के लिहाज से जूट महत्वपूर्ण है और पूरी दुनिया में केवल भारत और बांग्लादेश जूट उत्पादित कर रहे हैं, इसको देखते हुए समति ने मंत्रलय से क्षेत्र पर दिये जा रहे विशेष ध्यान को जारी रखने की सिफारिश की है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ऐसे में जूट कर्मचारियों तथा उत्पादकों के हितों की रक्षा एवं जूट उद्योग को बढ़ावा देना जरुरी है.