कोलकाता: लगता है कि सारधा चिटफंड घोटाले में आरोपियों पर सीबीआइ के कसते शिकंजे के चलते राज्य सरकार मीडिया से परेशानी महसूस करने लगी है. तभी तो पत्रकारों को स्वतंत्र रूप से काम करने से रोकने का प्रयास किया जा रहा है. नये राज्य सचिवालय ‘नवान्न’ के बाद अब साल्टलेक के सीजीओ कॉम्प्लेक्स में पत्रकारों की गतिविधियों को नियंत्रित कर दिया गया.
अंकुश लगा दिया गया है, ताकि पत्रकार सीबीआइ व प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की कार्यवाही की रिपोर्टिग नहीं कर सकें. विधाननगर पुलिस कमिश्नरेट ने गुरुवार सुबह सीजीओ कॉम्लेक्स में खबर के लिए इंतजार कर रहे पत्रकारों को यह फरमान सुनाया. गौरतलब है कि सीजीओ कॉम्प्लेक्स में सीबीआइ और इडी का दफ्तर है. दोनों केंद्रीय एजेंसियां सारधा चिटफंड घोटाले की जांच कर रही है. मामले में राज्य के परिवहन मंत्री मदन मित्रा, सांसद सृंजय बोस, कुणाल घोष समेत कई प्रभावशाली लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
मदन की गिरफ्तारी के बाद सीजीओ कॉम्प्लेक्स में हुआ हंगामा: परिवहन मंत्री मदन मित्रा को सीजीओ कॉम्प्लेक्स में पूछताछ के लिए बुलाये जाने के समय कॉम्प्लेक्स के अंदर मीडिया की मौजूदगी पर नाराजगी जतायी गयी थी. विधाननगर उत्तर थाना के आइसी शांतनु कोआर ने पत्रकारों को यह निर्देश सुनाया. पत्रकारों की ओर से इस संबंध में लिखित निर्देश दिखाने की मांग पर उन्होंने इससे मना कर दिया.
उन्होंने कहा कि यह ऊपर का निर्देश है, उनके पास कोई लिखित निर्देश नहीं है. विधाननगर पुलिस कमिश्नरेट के सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित सीबीआइ व इडी दफ्तर में पत्रकारों के प्रवेश को नियंत्रित करने की घटना को लेकर राजनीतिक सरगरमी तेज हो गयी है. गौरतलब है कि इसके पहले राज्य सरकार ने नवान्न में पत्रकारों की गतिविधि को नियंत्रित कर दिया था. पत्रकारों को निर्देश दिया गया था कि यदि वह मीडिया सेंटर के बाहर जायेंगे, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जायेगा. अब नवान्न की छाया सीजीओ कॉम्प्लेक्स पर भी पड़ी है. विरोधी दल का कहना है कि राज्य सरकार ने अपने ‘कुकर्म’ को आम लोगों तक पहुंचने से रोकने के लिए इस प्रकार का कदम उठाया है. गौरतलब है कि सारधा मामले में परिवहन मंत्री मदन मित्रा की गिरफ्तारी के बाद सीजीओ कॉम्प्लेक्स के बाहर भारी हंगामा और प्रदर्शन के बाद सीआइडी और इडी ने विधाननगर पुलिस कमिश्नरेट को पत्र लिख कर सीजीओ कॉम्प्लेक्स के बाहर सुरक्षा की मांग की थी. सीबीआइ व इडी अधिकारियों का कहना है कि हमने प्रदर्शन व कार्य में बाधा देने वालों के खिलाफ पुलिस व्यवस्था की मांग की थी, न कि पत्रकारों पर अंकुश लगाने का आग्रह किया था.