कोलकाता: रक्षा उपकरणों के उत्पादन व संग्रह में भारतीय उद्योगों की भागीदारी का आह्वान किया गया है. इसमें निजी व सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी की जरूरत पर जोर दिया गया. बंगाल एरिया के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल एके चौधरी ने गुरुवार को सीआइआइ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से विकास कर रही है. हालांकि अभी भी रक्षा उपकरणों के लिए आयात पर ही निर्भर रहना होता है. अब यह समय है कि भारतीय उद्योग जगत इसमें आगे आये और उत्पादन के क्षेत्र में हाथ बढ़ाये.
उन्होंने कहा कि कई निजी उद्योग अब वैश्विक स्तर पर काम कर रहे हैं. अब वे लोग देखना चाहते हैं कि निजी उद्योग इसमें आगे आयें, ताकि लागत खर्च कम हो. उन्होंने कहा कि सैन्य ताकत के लिए जरूरी है कि देश में एक मजबूत व विश्वासनीय रक्षा का आधार हो, लेकिन निजी क्षेत्र अभी भी इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए तैयार नहीं हैं. अन्य क्षेत्रों की तुलना में पूर्वी क्षेत्र में इस तरह के निवेश की ज्यादा जरूरत है, क्योंकि इस क्षेत्र में निजी भागीदारी ज्यादा नहीं है.
केंद्र सरकार देश में ही रक्षा उत्पादों का संग्रह करने के लक्ष्य पर काम कर रही है. हाल में सरकार ने रक्षा खरीदारी प्रक्रिया शुरू किया है. इससे इस क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा.
ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड, कोलकाता के हिमांशु शेखर चौधरी ने कहा कि भारत फिलहाल 70 फीसदी रक्षा उपकरणों का आयात कर रहा है. यह परंपरा बदलनी चाहिए. हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक रियर एडमिरल (अवकाशप्राप्त) एनके मिश्र ने आरोप लगाया कि अनैतिक कर प्रावधान से देश की शिपयार्ड उद्योग को नुकसान पहुंच रहा है.