कोलकाता: विश्व भारती विश्वविद्यालय ने गुरदेव रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े बेटे रतींद्रनाथ टैगोर के सम्मान में एक पुस्तक प्रकाशित की और उनके नाम पर एक संग्रहालय समर्पित किया है.
रतींद्रनाथ के बारे में यह कहा जाता है कि उनका काम अपने पिता की शानदार छाया में ही दबा रह गया. शांति निकेतन में स्थित ‘गुहा घर’ जहां रतींद्रनाथ रहते और काम किया करते थे, को संग्रहालय के तौर पर पहली बार आगंतुकों के लिए खोला गया.
एक कलाकार की कुटिया के समान ‘गुहा घर’ को एक गुफा की शक्ल में बनाया गया है, जिसके पास एक तालाब और बाग भी है. विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कहा कि इस संग्रहालय में रतींद्रनाथ द्वारा बनाए गए फर्नीचर सहित लकड़ी से बनी दूसरी वस्तुएं यादगार के तौर पर रखी गई हैं. उन्हें बढ़ईगिरी और लकड़ी के सामान बनाना बेहद पसंद था.