कोलकाता: कोल इंडिया लिमिटेड के सभी पांचों केंद्रीय श्रमिक संगठनों द्वारा दिये गये एक महीने के अल्टीमेटम के बाद अब केंद्र सरकार कोयला श्रमिकों को मनाने में जुट गयी है. समस्या के समाधान के लिए प्रधानमंत्री व केंद्रीय कोयला मंत्री के साथ कोयला श्रमिक के संगठनों के प्रतिनिधि अगले महीने के प्रथम सप्ताह में बैठक करेंगे. इस संबंध में सीटू समर्थित ऑल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन के महासचिव जीवन राय ने बताया कि पांच जुलाई को दिल्ली में कोयला मंत्री व कोल इंडिया के सभी पांचों श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच बैठक होगी.
इसके अगले दिन छह जुलाई को श्रमिक संगठन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ मुलाकात करेंगे. उन्होंने कहा कि सभी कोल यूनियनों की सबसे पहली मांग यह है कि कोल इंडिया में विनिवेश की प्रक्रिया जल्द से जल्द बंद की जाये. सभी यूनियनों की ओर से 24 जून को कोलकाता के महाजाति सदन में मांगों की रूपरेखा तैयार की गयी थी और इस दिन तय की गयी मांगों को ही प्रधानमंत्री व कोयला मंत्री के सामने रखा जायेगा.
उन्होंने बताया कि कोयला मंत्री व प्रधानमंत्री से मिलने से पहले तीन जुलाई को सभी कोल यूनियनों के प्रतिनिधि आपस में बैठक करेंगे और फिर से अपनी मांगों पर चर्चा करेंगे. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कंपनी के 10 फीसदी शेयर बेच कर करीब 20 हजार करोड़ रुपये उगाहने की योजना बनायी है.
साथ ही पुनर्विकास के नाम पर कोल इंडिया की सभी अनुषंगी कंपनियों को अलग-अलग करना चाहती है. केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ कोल इंडिया के अंतर्गत कार्य करनेवाले करीब साढ़े तीन लाख कर्मचारी एकजुट होकर खड़े हो गये हैं. इस संबंध में एटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेंद्र कुमार ने कहा कि पांचों यूनियनों की ओर से प्रधानमंत्री व कोयला मंत्री को मांगों का ज्ञापन सौंपा जायेगा और इस पर विचार करने के लिए केंद्र को एक महीने का समय दिया जायेगा. केंद्र सरकार को इस समय सीमा के अंदर कोल इंडिया में विनिवेश के फैसले को वापस लेना होगा.