कोलकाता: कोलकाता को हरा-भरा व प्रदूषण मुक्त बनाये रखने के लिए हर साल बड़ी संख्या में पौधे लगाये जाते हैं. महानगर को हरा-भरा बनाये रखने की जिम्मेदारी कोलकाता नगर निगम ने उठा रखी है, जो प्रत्येक वर्ष वन विभाग व विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं की सहायता से हजारों की संख्या में वृक्षारोपण करता है. पर कठिन मेहनत व लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद वह परिणाम सामने नहीं आता है. जिस मकसद से प्रत्येक वर्ष वृक्षारोपण किया जाता है. अब तो मुख्यमंत्री ने कोलकाता नगर निगम को प्रत्येक वर्ष एक लाख पौधे लगाने का हुक्म भी दे दिया है.
पर परिणाम वही ढाक के पात. महानगर की हरियाली में कोई इजाफा होता नहीं दिख रहा है. बल्कि इसके विपरीत आज भी महानगर में पेड़ों की कटाई रोकने में सफलता नहीं मिली है. शहर के विभिन्न इलाकों से पेड़ों को काट कर बहुमंजिली इमारत निर्माण करने की सूचना अक्सर सामने आती रहती है. निगम ने एक पेड़ काटे जाने पर उसकी जगह पांच पौधे लगाने की बात कही थी, उस पर भी अमल होता नहीं दिख रहा है. ईएम बाइपास में सड़क बनाने के नाम पर हजारों पेड़ों की बलि चढ़ा दी गयी है.
सबसे बड़ी बात तो यह है कि निगम को यह तक पता नहीं है कि महानगर में कितने पेड़ हैं और कौन-कौन से पेड़ हैं. इसलिए निगम ने इस बार न केवल पेड़ों की गिनती करवाने का फैसला किया है, बल्कि नये पौधे लगाने से पहले एक सर्वे भी कराया गया है. जिसका मकसद वैज्ञानिक पद्धति से वृक्षारोपण किया जाना है. प्रत्येक वार्ड में होने वाले इस सर्वे में दस वनस्पति विशेषज्ञों की सहायता ली गयी है. उन्हें उन इलाकों का चिंहित करने का काम सौंपा गया है, जहां पौधे लगाने जरूरी हैं.
सूत्रों के अनुसार इन विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट जमा भी कर दी है. जिसमें कहा गया है कि इस वर्ष महानगर में एक लाख पौधे की बजाय 35 हजार पौधे लगाने की जरूरत है. पर निगम आयुक्त खलील अहमद इस रिपोर्ट को मानने के लिए तैयार नहीं है. उनका लक्ष्य 35 हजार नहीं, बल्कि एक लाख पौधे लगाना है. अर्थात विशेषज्ञों की राय के ऊपर मुख्यमंत्री के फरमान को तरजीह दी जायेगी.