कोलकाता. टेढ़े-मेढ़े दांत चेहरे की खूबसूरती को बिगाड़ देते हैं. इनके इलाज के लिए दंत विशेषज्ञ दांतों में तार लगा कर करते हैं, जिसे बैसेज कहा जाता है. आम धारणा यह है कि केवल कम उम्र के बच्चों के लिए ही बैसेज सफल होता है, लेकिन मशहूर ऑथार्ेडोन्टिक (दंत रोग विशेषज्ञ) एवं इंडियन ऑथार्ेडोनटिक सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ निखिलेश वैध का कहना है कि बैसेज द्वारा किसी भी उम्र में इलाज संभव है. एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए डा. वैध ने कहा कि दांतों के इलाज के बारे में लोगों के बीच जागरूकता की बेहद कमी है. दांतों की आम तकलीफ का इलाज डेंटिस्ट करते हैं, पर टेढ़े-मेढ़े दांतों का इलाज ऑथार्ेडांेटिक्स द्वारा किया जाता है. देश भर में 6000 ऑथार्ेडांेटिक्स हैं. उन्होंने दावा किया कि बैसेज के द्वारा टेढ़े-मेढ़े दांतों का शत-प्रतिशत इलाज होता है. इसमें छह महीने से डेढ़ वर्ष तक का समय लगता है. दांतों के आकार के आधार पर इलाज का खर्च निर्भर करता है. डा. वैध ने बताया कि लोगों को जागरूक करने के लिए हम लोगों ने महानगर से स्माइल टॉर्च नामक एक अभियान शुरू किया है. जो देश के 35 शहरों का चक्कर लगा कर दिसंबर 2015 में संपन्न होगा. दिसंबर 2015 में हैदराबाद में इंडियन ऑथार्ेडोंटिक सोसाइटी का स्वर्ण जयंती समारोह आयोजित होगा. इस अभियान के दौरान लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ रोगियों के लिए ऑथार्ेडांेटिक्स कैंप भी लगाये जायेंगे. दुनिया में इस प्रकार का अभियान पहली बार शुरू किया गया है.
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हर उम्र में संभव है टेढ़े-मेढ़े दांतों का इलाज
कोलकाता. टेढ़े-मेढ़े दांत चेहरे की खूबसूरती को बिगाड़ देते हैं. इनके इलाज के लिए दंत विशेषज्ञ दांतों में तार लगा कर करते हैं, जिसे बैसेज कहा जाता है. आम धारणा यह है कि केवल कम उम्र के बच्चों के लिए ही बैसेज सफल होता है, लेकिन मशहूर ऑथार्ेडोन्टिक (दंत रोग विशेषज्ञ) एवं इंडियन ऑथार्ेडोनटिक सोसाइटी […]
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