साल्टलेक में बनाया जायेगा मुख्यालय
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में उर्वरक के उत्पादन को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने यहां तीन जैविक हब बनाने का फैसला किया है, जहां उर्वरक का उत्पादन बढ़ाने के साथ ही इस पर रिसर्च भी किया जायेगा. कुछ दिन पहले ही यादवपुर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने फूलों से गुलाल बना कर होली जैसे त्योहार को रंगीन बनाया था.
अब यहां के वैज्ञानिकों ने मगराहाट के कसाई खाने से निकलने वाले वज्र्य पदार्थ से उर्वरक का उत्पादन किया है, अब इसकी सफलता के बाद वैज्ञानिकों ने विभिन्न क्षेत्रों में जैविक हब बनाने का फैसला किया है. इस उर्वरक का प्रयोग भी किया गया और इसका सकारात्मक परिणाम भी सामने आया है. पश्चिम मेदिनीपुर के गोपी बल्लभपुर के पाथुर में उपजाऊ जमीन है, जहां विभिन्न फलों का उत्पादन हो रहा है. गौरतलब है कि दक्षिण 24 परगना जिले के नीमपीठ में कृषि क्षेत्र में जैविक उर्वरक के प्रयोग को लेकर रिसर्च किया जा रहा है.
इस संबंध में राज्य के विज्ञान व तकनीक व जैविक तकनीक विभाग के मंत्री रवि रंजन चटर्जी ने बताया कि जैविक उर्वरक का उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने कई जिलों में प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन फिलहाल राज्य के तीन क्षेत्रों में जैविक हब की स्थापना करने की योजना बनायी है. उत्तर बंगाल के कालिंम्पोंग, दक्षिण बंगाल के बर्दवान व पश्चिमांचल क्षेत्र में पश्चिम मेदिनीपुर में यह हब बनाया जायेगा. उन्होंने बताया कि बर्दवान में इस हब के लिए तीन एकड़ जमीन भी आवंटित की गयी है.
वहीं, कालिंग्पोंग में जैविक हब के लिए विशेष तैयारी की जा रही है, क्योंकि दाजिर्लिंग के साथ-साथ तराई व डुआर्स क्षेत्र में उद्भिज की मात्र अधिक है, इसलिए यहां जैविक उत्पाद प्राप्त करने में कोई परेशानी नहीं होगी. वहीं, पश्चिम मेदिनीपुर व बर्दवान जिले में प्राणी संपदा से संबंधित जैविक हब का निर्माण किया जायेगा. बताया जाता है कि राज्य सरकार ने पीपीपी मॉडल के तहत इसका निर्माण करने का फैसला किया है. राज्य सरकार की ओर से इसके लिए जमीन व आधारभूत सुविधाओं का विकास करेगी.