कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के तीसरे मोरचे के गठन के मुद्दे पर वाम मोरचा के घटक दलों ने कड़ी आलोचना की है. वाम मोरचा के नेताओं ने आरोप लगाया है कि तीसरे मोरचे के आह्वान से आगामी वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के साथ मोल भाव की ताकत बढ़ाने की तृणमूल कांग्रेस की महज एक चाल है. उन्होंने दावा है कि तीसरा मोरचा साझे कार्यक्रम के बगैर संभव नहीं हो सकता.
राज्य में विधानसभा में विपक्ष के नेता व माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य डॉ सूर्यकांत मिश्र का कहना है कि तीसरे मोरचे का आह्वान कारगर नहीं है. आरोप के मुताबिक यह महज लोकसभा चुनाव से पूर्व मोल भाव करने की चाल है. राजनीतिक अखाड़े में तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो के पिछले राजनीतिक रिकार्ड से सभी परिचित हैं. आला माकपा नेता ने दावा किया कि इस प्रकार का गंठबंधन कभी सफल नहीं हो सकता. बहुदलीय विचारों पर तृणमूल कभी सहमत नहीं रही है, क्योंकि उसकी नीति एकात्मक ही है.
इधर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के वरिष्ठ नेता एबी वर्धन का कहना है कि केंद्र में सत्ता में आने के लिए केवल कुछ मुख्यमंत्रियों का साथ आना उचित विकल्प नहीं है और न्यूनतम साझा कार्यक्रम के बिना तीसरा मोरचा व्यावहारिक नजर नहीं आता.
फारवर्ड ब्लॉक के आला नेता देवव्रत विश्वास ने कहा कि जो दल अलग-अलग विचारों और पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र में यकीन नहीं रखते, वे विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ कैसे काम करेंगे. यह तो केवल उन्हें ही पता होगा. वाम मोरचा के एक और सहयोगी दल आरएसपी के राज्य सचिव क्षिति गोस्वामी ने कहा कि तृणमूल खुद को संकट में डाल रही है. एक गंठबंधन बनाने के लिए आम सहमति होना आवश्यक है, जिसे तृणमूल जैसे दलों के साथ प्राप्त करना मुश्किल है.