कोलकाता: राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में रजिस्ट्रारों ने आवासीय फ्लैटों की जो कीमत तय कर दिये हैं, वे बाजार की कीमत की अपेक्षा से काफी अधिक हैं. इसलिए महानगर में फ्लैटों की कीमत काफी अधिक हो गयी है. ऐसे में रियल एस्टेट कंपनियों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस दर को कम करने का आग्रह करने का फैसला किया है.
इस संबंध में बहुत जल्द रियल एस्टेट कंपनियों के संगठन कनफडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन इन इंडिया (क्रेडाइ) की ओर से मुख्यमंत्री को पत्र लिखा जायेगा. यह जानकारी क्रेडाइ के सदस्य व रियल एस्टेट कंपनी के मालिक प्रदीप चोपड़ा ने दी. उन्होंने बताया कि कुछ महीने पहले विभिन्न क्षेत्रों के रजिस्ट्रार ने फ्लैटों की जो कीमत तय की है, वह बाजार दर से काफी अधिक है, जबकि नियम के अनुसार, सरकारी दर बाजार की दर से कम होनी चाहिए.
उन्होंने बताया कि विगत आम बजट में केंद्र सरकार ने नया नियम लागू किया है, जिसमें फ्लैट बेचनेवाली कंपनियों को सरकार द्वारा तय किये गये कीमत के आधार पर आय कर देना होगा, जबकि खरीदनेवाले को वास्तविक लेन-देन की कीमत पर आयकर अदा करने का प्रावधान है.
केंद्र सरकार के इस फैसले से जहां अन्य राज्यों में रियल एस्टेट कंपनियों का विकास हो रहा है, वहीं बंगाल में कंपनियों की हालत खराब है, क्योंकि राज्य सरकार ने जिस प्रकार से जमीन कीमत का निर्धारण किया है, ऐसे में यहां कंपनियों का विकास नहीं हो सकता. बंगाल में 25 लाख रुपये से कम कीमतवाली संपत्ति पर स्टैंप ड्यूटी छह फीसदी और 25 लाख रुपये से अधिक कीमत की संपत्ति पर सात फीसदी स्टैंप ड्यूटी देना पड़ता है.
मिली जानकारी के अनुसार, सॉल्टलेक सेक्टर-5 में आवासीय मकानों की कीमत 3500 से 4000 रुपये वर्ग फीट है, लेकिन सरकारी खातों में इसकी कीमत 8000 रुपये प्रति वर्ग फीट है. ऐसी परिस्थिति में अगर कोई यहां 1000 वर्ग फीट जगह खरीदता है, तो सिर्फ स्टैंप ड्यूटी के रूप में सात लाख 85 हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं, क्योंकि सरकार अपने कीमत के अनुसार 97 लाख के हिसाब से स्टैंप ड्यूटी ले रही है, जबकि इसका शुल्क 2.5 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए. उन्होंने बताया कि इस समस्या को दूर करने के लिए रियल एस्टेट कंपनियों की ओर से मुख्यमंत्री को पत्र लिखा जायेगा.