कोलकाता: देश की सबसे बड़ी कोयला उत्पादन करनेवाली कंपनी कोल इंडिया के पांचों श्रमिक संगठनों ने मिल कर आंदोलन करने का फैसला किया है. कंपनी के सभी श्रमिक ‘ वर्क टू रूल ’ आंदोलन करेंगे, अर्थात वह अपनी ड्यूटी पर तो आयेंगे, लेकिन कोयला उत्पादन धीमी गति से करेंगे. यह जानकारी ऑल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन के महासचिव जीवन राय ने दी.
कोल ब्लॉक में सर्वोच्च अदालत का फैसला मानने का बढ़ाया दबाव
उन्होंने कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत ने कोल ब्लॉक के आवंटन को लेकर जो फैसला दिया है, उससे कोल इंडिया को मानना होगा. सभी निजी कंपनियों को आवंटित की गयी कोल ब्लॉकों को उनसे वापस लेना होगा.
उन्होंने कहा कि अब केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या करती है, अगर इन कोयला ब्लॉकों के आवंटन को रद्द नहीं करती है और केंद्र सरकार अगर संविधान व वर्तमान एक्ट को बदल कर अगर अवैध ब्लॉकों को वैध करने की कोशिश करेगी, तो इसके खिलाफ फेडरेशन इसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन करेगी.
उन्होंने बताया कि इस आंदोलन में इंटक, सीटू, एटक, बीएमएस व एचएमएस पांचों यूनियन की ओर से प्रबंधन को नोटिस दे दिया गया है.
गौरतलब है कि अगर श्रमिक ‘ वर्क टू रूल ’ आंदोलन करते हैं, तो इन तीन दिनों में कोयला का उत्पादन 20 प्रतिशत कम होगा. उन्होंने बताया कि अवैध कोयला ब्लॉकों को वापस लेने के साथ-साथ कोल इंडिया में विनिवेश, कंपनी के पुनर्गठन के खिलाफ भी सभी यूनियन मिल कर आंदोलन करेंगे. सभी यूनियनों से कोल विदेश संस्थान को खत्म करने की मांग की है. उन्होंने बताया कि अगर तीन दिनों में कोल इंडिया प्रबंधन अगर उनकी मांगों को नहीं मानता है, तो 21 सितंबर को सभी यूनियन आपस में बैठक कर आगामी आंदोलन की घोषणा करेंगे.