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राज्य में बढ़ रही आरएसएस की पकड़

कोलकाता: राष्ट्रीय राजनीति में एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की धूम मची हुई है. गैर भाजपा शासित राज्यों में भाजपा अगले चुनाव में फतह की रणनीति बना रही है. इसी रणनीति के तहत विधानसभा उपचुनाव के दो सीटों के प्रचार के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कोलकाता पहुंच रहे हैं. इस शोरगुल के […]

कोलकाता: राष्ट्रीय राजनीति में एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की धूम मची हुई है. गैर भाजपा शासित राज्यों में भाजपा अगले चुनाव में फतह की रणनीति बना रही है.

इसी रणनीति के तहत विधानसभा उपचुनाव के दो सीटों के प्रचार के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कोलकाता पहुंच रहे हैं. इस शोरगुल के बीच राष्ट्रीय स्वयं संघ (आरएसएस) भी पश्चिम बंगाल में अपना विस्तार करने में जुटा है. पिछले एक वर्ष में राज्य में आरएसएस की लगभग 250 शाखाएं खुली हैं, जिससे लगभग 1750 हो गयी है. इसके साथ ही साप्ताहिक मिलन की संख्या में भी इजाफा हुआ है.

आरएसएस के पश्चिम बंगाल के सह प्रांत प्रचारक विद्युत मुखर्जी का कहना है कि आरएसएस एक सांस्कृतिक संगठन है. भाजपा के राजनीतिक विचारों से इसका कोई लेना देना नहीं है. आरएसएस अपने स्तर से काम करती है. अमित शाह का दौरा राजनीतिक है. इससे आरएसएस का कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि उन लोगों का पूर्व निर्धारित कार्यक्रम है. प्रत्येक वर्ष सितंबर माह में प्रांत बैठक होती है. अगले दो-दिन रामपुरहाट और खड़गपुर में उन लोगों की बैठक है. उस बैठक में स्थानीय स्वयंसेवक उपस्थित रहेंगे और विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श होगा. उन्होंने कहा कि एक नागरिक के रूप में वह भी महसूस करते हैं कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने से देश का माहौल बदला है. पेट्रोल की कीमत घटी है. प्रधानमंत्री के जापान व नेपाल दौरे से हिंदी व हिंदुत्व का मान बढ़ा है.

देश के लोगों को अनुभव अच्छा है तथा उनका अनुभव भी अच्छा है. प्रत्यक्ष रूप से भाजपा के साथ संबंध मानने से इनकार करने के बावजूद आरएसएस के आला स्वयंसेवक यह मानते हैं कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद लोगों में आरएसएस के प्रति रुचि बढ़ी है.

लोगों के शाखाओं के संबंध में ज्यादा जानकारियां ले रहे हैं. लोग शाखाओं से जुड़ रहे हैं. आला स्वयंसेवक का कहना है कि बांग्लादेश से घुसपैठ व बांग्लादेश से आने वाले हिंदु शरणार्थियों के प्रति मोदी सरकार की नीति के कारण पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में आरएसएस की पकड़ मजबूत हो रही है. वरिष्ठ आला स्वयंसेवक का कहना है कि इसके साथ ही जिस तरह से राज्य की वर्तमान तृणमूल सरकार ने मुस्लिमों के प्रति तुष्टीकरण की नीति अपना रखी है. इमामों को भत्ता देने जैसी घोषणाएं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने की थी. उससे हिंदुत्व के प्रति लोगों में झुकाव बढ़ रहा है. इसके साथ ही आरएसएस ने स्थानीय लोगों को भी जोड़ने की योजना बनायी है. इसके तहत आरएसएस अपनी योजना के अनुसार लोगों के आम लोगों के साथ लगातार संपर्क बना रहा है. इनमें बुद्धिजीवी वर्ग शामिल हैं. अपनी विस्तार की योजना के तहत ही स्वामी विवेकानंद की 150वीं जन्म शती पर आयोजित कार्यक्रम का आयोजन बंगाल में ही किया गया था, ताकि बंगाल के युवाओं में अपनी पकड़ मजबूत कर सके.

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