कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ के दो न्यायाधीशों की तृणमूल कांग्रेस के सांसद तापस पाल के मामले में दायर अपील पर एक राय नहीं है. न्यायाधीश गिरीश गुप्ता ने न्यायमूर्ति दीपंकर दत्ता का निर्देश खारिज कर दिया, जिन्होंने तापस के खिलाफ एफआइआर दाखिल करने का निर्देश दिया था.
हालांकि उनके सहयोगी न्यायाधीश जस्टिस तपोव्रत चक्रवर्ती ने राज्य सरकार व तापस दोनों की अपीलें खारिज कर दीं. अब यह मामला मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामित तीसरे न्यायाधीश के पास जायेगा.
खंडपीठ ने न्यायाधीश दत्ता के आदेश पर 14 अगस्त तक लगी अंतरिम रोक को तीन सप्ताह तक बढ़ा दिया है. इस मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद एक अगस्त को उच्च न्यायालय ने कहा था कि वह 13 अगस्त को अपना फैसला सुनायेगा व तापस की आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज करने पर स्थगन आदेश की अवधि को बढ़ा दिया था. अदालत ने एकल पीठ के उस आदेश की तामील पर रोक की अवधि 14 अगस्त तक के लिए बढ़ा दी थी जिसमें तापस के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने और मामले की जांच सीबीआइ से कराने का निर्देश दिया गया था. न्यायाधीश दीपंकर दत्ता ने इससे पहले 72 घंटे के भीतर एफआइआर दर्ज करने और मामले को सीआइडी के हवाले करने का आदेश दिया था.
उल्लेखनीय है कि तृणमूल सांसद तापस पाल का एक वीडियो मीडिया में आया था जिसमें वह विरोधियों को गोली मारने और महिलाओं का दुष्कर्म कराने की बात कहते दिखायी दे रहे थे. इसके बाद विप्लव चौधरी नामक व्यक्ति ने उनके खिलाफ कदम उठाने की मांग पर कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी. सिंगल बेंच के न्यायाधीश दीपंकर दत्ता ने तापस पाल के खिलाफ एफआइआर कराने और मामले की सीआइडी जांच कराने का आदेश दिया था. इस फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार और तापस पाल की ओर से खंडपीठ में अपील की गयी थी.