हावड़ा : लोको शेड में कुल 156 इलेक्ट्रिक इंजन हैं. डब्ल्यू एपी-7 मॉडल के 65 इंजन और डब्ल्यू एपी-4 के 91 इंजन हैं. डब्ल्यू एपी-7 मॉडल के 65 इंजनों में 16 इंजन के चालक केबिन में एसी लगायी गयी है. यह इंजन काफी अत्याधुनिक है. इसकी खासियत यह है कि इस इंजन को जिस ट्रेन में लगाया जायेगा, उस ट्रेन में जेनरेटर की जरूरत नहीं होगी. हॉग (हेड ऑन जेनरेशन) की पद्धति से ओवरहेड तार के जरिये पूरी ट्रेन में बिजली आपूर्ति की जायेगी.
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डब्लयूएपी-7 मॉडल के 16 इलेक्ट्रिक इंजन में एसी की सुविधा
हावड़ा : लोको शेड में कुल 156 इलेक्ट्रिक इंजन हैं. डब्ल्यू एपी-7 मॉडल के 65 इंजन और डब्ल्यू एपी-4 के 91 इंजन हैं. डब्ल्यू एपी-7 मॉडल के 65 इंजनों में 16 इंजन के चालक केबिन में एसी लगायी गयी है. यह इंजन काफी अत्याधुनिक है. इसकी खासियत यह है कि इस इंजन को जिस ट्रेन […]
ट्रेन में जेनरेटर नहीं होने से धुआं और तेज आवाज से राहत मिलेगी. साथ ही ऊर्जा की बचत होगी. फिलहाल ये 16 इंजन राजधानी, दूरंतो, पूर्वा, शताब्दी सहित अन्य विशेष ट्रेनों में लगाये जा रहे हैं. दूसरी ओर, 13 डीजल इंजन (डब्ल्यूडीपी-4) और आठ लोकल ट्रेनों के चालक केबिन में एसी की सुविधा है.
वर्तमान में 16 इलेक्ट्रिक इंजन, 13 डीजल इंजन और आठ लोकल ट्रेनों के चालक केबिन में एसी की सुविधा है. आनेवाले दिनों में सभी इंजनों के चालक केबिन को एसी करने की योजना है. कांचरापाड़ा में काम जारी है. ट्रेन चालकों की जिम्मेवारी बहुत अधिक होती है. उन्हें काम करने में परेशानी नहीं हो, इस पर ध्यान दिया जा रहा है. हजारों यात्रियों को उनके गंतव्य तक चालक ही सही सलामत ले जाते हैं.
इशाक खान, डीआरएम, हावड़ा
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