हावड़ा : राज्य सचिवालय नवान्न भवन के पास ऐसे दो सरकारी विद्यालय हैं, जहां बुनियादी सुविधाओं का भारी अभाव है. खपरैल की छत, शौचालय नहीं, पर्याप्त रोशनी नहीं, बारिश में कक्षाओं में पानी टपकते हैं. इसके बावजूद दोनों स्कूलों में अभिभावक बच्चों को भविष्य संवारने भेजते हैं. दोनों स्कूल सरकारी मान्यता प्राप्त हैं. स्कूलों की बदहाली दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रही है और बच्चों की संख्या घटती जा रही है.
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हावड़ा : सचिवालय के पास बदहाल विद्यालय
हावड़ा : राज्य सचिवालय नवान्न भवन के पास ऐसे दो सरकारी विद्यालय हैं, जहां बुनियादी सुविधाओं का भारी अभाव है. खपरैल की छत, शौचालय नहीं, पर्याप्त रोशनी नहीं, बारिश में कक्षाओं में पानी टपकते हैं. इसके बावजूद दोनों स्कूलों में अभिभावक बच्चों को भविष्य संवारने भेजते हैं. दोनों स्कूल सरकारी मान्यता प्राप्त हैं. स्कूलों की […]
शानपुर विनोवा हिंदी विद्यालय
शिवपुर विधानसभा केंद्र के अंतर्गत शानपुर मोड़ पर विनोवा हिंदी विद्यालय है. स्कूल की छत खपरैल की है. किसी तरह दो पंखों को बांस के सहारे लटकाया गया है. रोशनी कम होने पर अतिरिक्त बल्ब जला कर बच्चों को पढ़ाया जाता है.
रोशनी भी जरूरत से कम है. प्रधानाध्यापक को लेकर कुल तीन शिक्षकें हैं. स्कूल में क्लास रूम की कमी है. एक कमरे को दो भागों में बांटा गया है. एक साथ प्री प्राइमरी, कक्षा एक और कक्षा दो की पढ़ाई होती है. तीनों क्लास के बच्चे एक साथ आठ बेंच पर बैठते हैं.
पास के क्लास रूम में कक्षा तीन और चार के बच्चों को बैठाया जाता है. यहां भी आठ बेंच हैं. ब्लैक बोर्ड को आधे भाग में बांट दिये गये हैं. पांच कक्षाओं को लेकर कुल 28 बच्चे हैं. स्कूल में बिजली पास के एक कारखाने से ली गयी है.
शिवपुर आधुनिक विद्यालय- स्कूल का नाम बेशक आधुनिक विद्यालय है, लेकिन स्कूल बुनियादी सुविधाओं से वंचित है. स्कूल से सटी (एक ही होल्डिंग नंबर) बिल्डिंग में नगर निगम की ओर से जर्जर भवन का बोर्ड लगा दिया गया है.
शिवपुर आरएनआरसी घाट रोड पर यह विद्यालय है. स्कूल की स्थापना 1969 में हुई है. करीब डेढ़ साल तक स्कूल में बिजली नहीं थी. पूर्व पार्षद विनय सिंह की पहल से स्कूल में बिजली सेवा बहाल की गयी, लेकिन बिजली बिल स्कूल के शिक्षक मिल बांट कर देते हैं.
तीन क्लास रूम के बीच एक नौ वाट का बल्ब लगाया गया है. बच्चे धुंधली रोशनी में ही अपना भविष्य बनाने की कोशिश में हैं. स्कूल भवन का किराया 380 रुपये प्रति माह शिक्षकों को चुकता करना पड़ता है.
इस स्कूल में प्री प्राइमरी से लेकर कक्षा चार तक की पढ़ाई होती है. बच्चों की कुल संख्या 115 है. एक क्लास रूम में प्री प्राइमरी और कक्षा एक, दूसरे क्लास रूम में कक्षा दो और तीन के विद्यार्थियों को और तीसरे क्लास रूम में चौथी कक्षा के बच्चों को बैठाया जाता है. यहां भी एक ही ब्लैक बोर्ड में पढ़ाई होती है. स्कूल का अपना भवन नहीं है.
स्कूल की स्थापना 1973 में की गयी थी. तब से अब तक स्कूल उसी हालत में है. चूंकि स्कूल का अपना भवन नहीं है, यही कारण है कि यहां बुनियादी सुविधा तक उपलब्ध नहीं है. पीने का पानी तो बच्चे घर से लेकर आते हैं, लेकिन शौचालय के लिए बच्चे कहां जायेंगे. 2017 में बच्चों की संख्या 50 के आसपास थी, जो अभी घट कर 28 हो गयी है.
अजीत मिश्रा, हेड टीचर, शानपुर विनोवा हिंदी विद्यालय
कुछ दिन पहले एक संस्था की ओर से भवन की मरम्मत की गयी, लेकिन बारिश होने पर क्लास रूम में पानी गिरता है. पहले हालात और बुरे थे. मरम्मत कार्य के बाद सुधार हुआ है. 2017 से अब तक शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल भवन का किराया नहीं मिला है. हम शिक्षक ही आपस में मिल कर बिजली बिल और भवन किराया देते हैं. स्कूल में शौचालय नहीं होने से बच्चों को परेशानी होती है.
विमलेश सिंह, हेडमास्टर, शिवपुर आधुनिक विद्यालय
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