कोलकाता : पश्चिम बंगाल में लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर लगी रोक हटाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल हाइकोर्ट के उस आदेश को रद्द करने की मांग करनेवाली पश्चिम बंगाल भाजपा की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें राज्य में आवासीय क्षेत्रों में माइक और लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि रैलियों से अधिक महत्वपूर्ण है बच्चों का पढ़ाई है.
उल्लेखनीय है कि भाजपा की याचिका में कहा गया था कि स्कूलों में बोर्ड की परीक्षा के बहाने मार्च महीने के अंत तक पश्चिम बंगाल के हर इलाके में माइक और लाउडस्पीकर बजाने पर निषेधाज्ञा जारी करने संबंधी राज्य सरकार की अधिसूचना गलत है. माइक और लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध पार्टी की राजनीतिक गतिविधियों में बाधा पहुंचाने के उद्देश्य से लगाया गया है.
यह दूसरी बार है जब भाजपा और तृणमूल कांग्रेस बंगाल में चुनाव प्रचार को लेकर एक-दूसरे के आमने-सामने आ गये हैं. इसके पहले कोर्ट ने भाजपा रथयात्रा पर लगे प्रतिबंध को भी हटाने से मना कर दिया था, क्योंकि इससे सामुदायिक हिंसा होने का खतरा था.
भाजपा का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आवाज के मानकों के मुताबिक एक तय सीमा तक माइक और लाउडस्पीकर बजाने की इजाजत होती है, लेकिन इस 90 डेसीबल से कम आवाज में माइक बजाने की अनुमति देने के बजाय एक साथ पूरे राज्य में किसी भी तरह का माइक और लाउडस्पीकर बजाने की निषेधाज्ञा पश्चिम बंगाल सरकार की सोची समझी रणनीति है.
ममता बनर्जी सरकार ने 2013 में एक आदेश जारी किया था. इसके जरिये शैक्षणिक संस्थानों के आसपास और रिहायशी इलाकों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. बाद में शीर्ष अदालत के आदेश पर सिर्फ राजनीतिक सभाओं और रैलियों आदि में लाउडस्पीकरों के उपयोग की इजाजत दे दी गयी.