नयी दिल्ली/ कोलकाता: राजस्थान में फिल्म ‘सोनार किला’ के फिल्मांकन के दौरान एक हादसे में प्रख्यात फिल्मकार सत्यजीत रे की एक आंख जाते-जाते बची थी. श्री रे के पसंदीदा अभिनेता सौमित्र चटर्जी ने अपने संस्मरण में यह जानकारी दी है, जिसका पुस्तक के आकार में हाल में ही विमोचन किया गया.
संस्मरण के अनुसार एक राजमार्ग पर कार में फिल्म के एक दृश्य की शूटिंग के दौरान सौमित्र (जिन्होंने फिल्म में फेलू मित्तर नाम के जासूस का किरदार निभाया था), संतोष दत्ता (जिन्होंने जटायु की भूमिका निभायी थी) और सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय (जासूस के सहायक तोप्से) कार की पिछली सीटों पर बैठे थे, जबकि श्री रे चालक की बगल वाली सीट पर बैठ कर कैमरा संचालित कर रहे थे.
‘द मास्टर एंड आयी’ किताब में अभिनेता ने लिखा है : जहां तक मुङो याद है, पूण्रेंदु (निर्देशक के छायाकार पूण्रेंदु बोस) उनकी (श्री रे) बगल में बैठे थे, जब शूटिंग की तैयारी पूरी हो गयी मानिक दा (राय के करीबी लोग उन्हें इसी नाम से बुलाते थे) का ध्यान कैमरे से हटा, तभी कार के पिछले हिस्से से एक ट्रक टकरायी, जिसका चालक नशे में धुत था. श्री चटर्जी ने कहा : अगर ऐसा कुछ सेकेंड पहले हुआ होता तो मानिक दा की एक आंख चली गयी होती.
सौमित्र चटर्जी ने कहा : घटना के बाद पूरी यूनिट दौड़ कर उनका हालचाल पूछने उनके पास आयी, लेकिन मानिक दा ने अपने साथ जो अनहोनी हो सकती थी, उसकी अनदेखी करते हुए हममें से हर व्यक्ति का हालचाल पूछा. दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित अभिनेता ने इस घटना को याद करते हुए कहा कि इससे पता चलता है कि श्री रे अपनी यूनिट के लोगों का कितना ख्याल रखते थे.
अभिनेता ने आगे किताब में लिखा है : हमने उनके साथ जितनी फिल्मों में काम किया और जब भी कोई घटना हुई, मैंने महसूस किया कि मानिक दा हमारे प्रति हमेशा संवदेनशील रहते थे. सौमित्र चटर्जी ने 1959 से लेकर 1990 के बीच श्री रे की 14 फिल्मों में काम किया था, जिनमें ‘अपूर संसार’, ‘देवी’, ‘चारुलता’, ‘सोनार किला’, ‘जय बाबा फेलूनाथ’, ‘घरे बाहरे’ और ‘आगंतुक’ जैसी प्रसिद्ध फिल्में शामिल हैं. किताब का प्रकाशन सुपरनोवा पब्लिशर्स ने किया है.