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कोलकाता : जेयू की संशोधित सूची में नये छात्रों के नाम

दाखिला प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जाये सूची निकलने के बाद मंत्री ने की टिप्पणी कोलकाता : जादवपुर यूनिवर्सिटी में स्नातक स्तर पर निकाली गयी संशोधित मेधा सूची में प्रथम 70 नामों में कुछ नये नाम जोड़ दिये गये हैं. इसमें इतिहास विषय में कुछ नये छात्रों के नाम जुड़ने से छात्रों में संतोष है. कुछ […]

दाखिला प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जाये
सूची निकलने के बाद मंत्री ने की टिप्पणी
कोलकाता : जादवपुर यूनिवर्सिटी में स्नातक स्तर पर निकाली गयी संशोधित मेधा सूची में प्रथम 70 नामों में कुछ नये नाम जोड़ दिये गये हैं. इसमें इतिहास विषय में कुछ नये छात्रों के नाम जुड़ने से छात्रों में संतोष है.
कुछ छात्रों की उत्तर-पुस्तिकाओं का दुबारा मूल्यांकन करते हुए इसमें बदलाव किया गया है. टेस्ट देने वाले सभी 344 छात्रों की उत्तर-पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कर दिया गया है. इसके बाद घोषणा की गयी कि इस कोर्स के लिए 70 छात्रों का दाखिला लिया जायेगा. दाखिला 21 व 22 अगस्त से किया जायेगा. संशोधित मेरिट सूची में प्रथम 70 नामों में 15 छात्रों का नाम प्रतीक्षा सूची में है. उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन दुबारा एक्सटर्नल परीक्षकों द्वारा किया गया है.
इनमें से एक परीक्षक बंगाल से बाहर का है. जादवपुर यूनिवर्सिटी के कार्यकारी रजिस्ट्रार चिरंजीव भट्टाचार्य ने बताया कि कुछ छात्रों का नाम अभी वेटिंग सूची में हैं. पहले की सूची में प्रथम 70 नामों में जो छात्र शामिल थे, उनकी प्रक्रिया शुरु हो गयी है.
जादवपुर यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का कहना है कि इन छात्रों को दाखिला से इंकार नहीं किया जा सकता है. संशोधित सूची में प्रथम 70 नामों में से कुछ नामों को बाहर निकाल दिया गया है. इन 15 छात्रों का रैंक अगर 70 में नहीं आ पाता है, उनका दाखिला लेने से क्लास की क्षमता 85 तक चली जायेगी.
विभाग के शिक्षकों ने पहले ही वाइस चांसलर को पत्र लिखा है. इसमें इस बात का विरोध किया गया है कि स्नातक स्तर पर इतिहास में स्वीकृत सीट 70 से ज्यादा छात्र न लिये जाएं. विभाग में पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं, जो बड़ी कक्षाएं ले सकें. यह एक अंदरुनी मामला है, इसको निपटाया जायेगा. उल्लेखनीय है कि प्रशासन द्वारा शिकायत मिलने के बाद दुबारा उत्तर-पुस्तिकाएं दुबारा जांची गयीं.
कुछ मेधावी छात्रों ने शिकायत की थी कि उनको एडमिशन टेस्ट में 100 में से 10 ही अंक दिये गये हैं. इससे पहले 6 अगस्त को मेधा सूची निकाली गयी थी. इसमें विभाग के शिक्षकों द्वारा ही मूल्यांकन किया गया था. इसमें गड़बड़ी को लेकर कुछ शिक्षकों ने कैम्पस में धरना प्रदर्शन भी किया था. आटर्स के डीन के इस्तीफे के बाद ही धरना हटाया गया था.
जादवपुर यूनिवर्सिटी की एक्जिक्यूटिव काउंसिल में सरकार के नोमिनी के रूप में सक्रिय एक सदस्य ने मांग की कि अगले साल से उत्तर-पुस्तिकाओं का मूल्यांकन बाहरी परीक्षकों द्वारा किया जाये. संशोधित सूची निकालने के बाद राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि पहले के मूल्यांकन में कुछ छात्रों ने शून्य हासिल किया. वहीं अभी किसी ने भी शून्य हासिल नहीं किया है.
किसी संस्थान को दाखिले के लिए अलग-अलग तरीके नहीं अपनाने चाहिए. दाखिला प्रक्रिया में समानता व पारदर्शिता होनी चाहिए. संशोधित मेरिट सूची से यह पता चलता है कि मूल्यांकन में विभाग के शिक्षकों ने भूल की है.
पारदर्शिता बरतने के लिए नयी व्यवस्था की जायेगी. जादवपुर यूनिवर्सिटी प्रशासन स्वयं इसका मूल्यांकन करे कि क्या यह दाखिला प्रणाली सही तरीके से काम कर रही है, अथवा इससे संस्थान की प्रतिष्ठा पर आंच आ रही है.
इस मामले में एएफएसयू के नेता का कहना है कि मंत्री के टिप्पणी से तो ऐसे ही लगता है कि वे जादवपुर यूनिवर्सिटी के कामकाज में दखल दे रहे हैं. दाखिले में कुछ भूलभाल हो ही सकती है.

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