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अदालत आंख बंद करके नहीं रह सकती
कोलकाता : आजादी के बाद से देश कल्याणकारी राष्ट्र बना है. उस राष्ट्र में यदि कोई भेदभाव का शिकार होता है तो अदालत आंख बंद करके नहीं रह सकती. राज्य के सरकारी कर्मचारियों द्वारा दायर डीए मामले की सुनवाई में मंगलवार को न्यायाधीश देवाशीष करगुप्त व न्यायाधीश शेखर बॉबी सराफ की अदालत ने यह टिप्पणी […]
कोलकाता : आजादी के बाद से देश कल्याणकारी राष्ट्र बना है. उस राष्ट्र में यदि कोई भेदभाव का शिकार होता है तो अदालत आंख बंद करके नहीं रह सकती. राज्य के सरकारी कर्मचारियों द्वारा दायर डीए मामले की सुनवाई में मंगलवार को न्यायाधीश देवाशीष करगुप्त व न्यायाधीश शेखर बॉबी सराफ की अदालत ने यह टिप्पणी की.
साथ ही खंडपीठ का कहना था कि सरकारी कर्मचारियों को फ्लैट खरीदने के लिए डीए नहीं दिया जाता. उन्हें बाजार दर के साथ सामंजस्य बरकरार रखने के लिए डीए दिया जाता है. मामले की सुनवाई में केद्र व राज्य के डीए अंतर के संबंध में राज्य की ओर से एडवोकेट जनरल (एजी) किशोर दत्त ने कहा कि राज्य सरकार को नहीं लगता है कि डीए कर्मचारियों का अधिकार है.
इसीलिए एसएटी ने इसे विचारणीय नहीं माना था. इस संबंध में खंडपीठ ने एजी से जानना चाहा कि तब राज्य सरकार के एक ही पद पर कार्यरत दो लोगों का डीए दो स्थानों पर अलग-अलग क्यों होगा? दिल्ली व चेन्नई में रोटी की कीमत अधिक है और कोलकाता में यह कम है?
इस संबंध में एजी का कहना था कि राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति पर यह निर्भर करता है कि सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली डीए की दर क्या होगी.
साथ ही बाजार दर के साथ सामंजस्य रखने के लिए ही डीए दिया जाता है. इस बाबत राज्य सरकार की ओर से नया हलफनामा देने की कोशिश की गयी लेकिन खंडपीठ ने उसे नहीं लिया. खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि काफी दिनों से डीए मामले की सुनवाई चल रही है इसलिए और समय नहीं दिया जा सकता. राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखा जा चुका है. अगली सुनवाई में याचिकाकर्ताओं की ओर से उनका पक्ष रख दिया जायेगा. मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी.
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