कोलकाता : जूट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (जेसीआइ) ने वर्ष 2018-19 के लिए पाट की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की है. इस वर्ष किसानों को एमएसपी के रूप में प्रति क्विंटल 3700 रुपये प्रदान किया जायेगा, जोकि पिछले वर्ष की तुलना में दो सौ रुपये अधिक है. यह जानकारी गुरुवार को जेसीआइ के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक डॉ केवीआर मूर्ति ने महानगर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दी.
उन्होंने बताया कि इस वर्ष किसानों से प्रत्यक्ष रूप से पाट खरीदने के लिए जेसीआइ ने नई प्रणाली शुरू की है, जिसके तहत अब पाट बेचनेवाले किसानों को पासबुक प्रदान किया जायेगा और प्रत्येक किसान कितना पाट बेच रहा है, इसकी पूरी जानकारी इस पासबुक में उपलब्ध होगी. इससे पहले जेसीआइ ने पाट की खेती करनेवाले किसानों का पंजीकरण शुरू कर दिया है और अब तक दो लाख किसानों का पंजीकरण किया जा चुका है.
वहीं, पाट की कीमत के भुगतान की प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए इस वर्ष भी किसानों को उनका रुपया सीधे उनके बैंक एकाउंट में जमा कर दिया जायेगा.डॉ मूर्ति ने बताया कि इसके साथ ही किसानों की समस्याओं को सुनने व उसके समाधान के लिए जेसीआइ की ओर से इस बार किसान कॉल सेंटर खोला जा रहा है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय की मदद से यह कॉल सेंटर खोला जा रहा है, जहां किसान अपनी सभी समस्या व शिकायतों को रख पायेंगे और इसके निवारण के लिए हर संभव कदम उठाया जायेगा.
इस मौके पर जेसीआइ के सलाहकार के. मुखोपाध्याय ने बताया कि किसानों से प्रत्यक्ष रूप से पाट खरीदने के लिए कंपनी ने क्रय केंद्रों की संख्या और बढ़ाने का फैसला किया है. फिलहाल जेसीआइ के अंतर्गत लगभग 141 डिपार्टमेंटल परचेज सेंटर (डीपीसी) हैं. इस वर्ष राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में और 62 क्रय केंद्र खोले जायेंगे, साथ ही जेसीआइ ने विभिन्न सहकारिता समिति व सेल्फ हेल्प ग्रुप इत्यादि के माध्यम से भी पाट क्रय करने का फैसला किया है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2017-18 में जेसीआइ ने 6.08 लाख क्विंटल पाट खरीदा था, इस वर्ष इसकी मात्रा और भी बढ़ायी जायेगी.