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पश्चिम बंगाल में थाली से गायब हो रहा चावल
कुछ महीनों में कीमत में प्रति किलो 8-10 रुपये तक की हुई बढ़ोतरी अमर शक्ति कोलकाता : पश्चिम बंगाल को चावल पैदावार की राजधानी के रूप में जाना जाता है. भारत में सबसे अधिक चावल की पैदावार पश्चिम बंगाल में होती है, लेकिन पैदावार की राजधानी में भी चावल पर्याप्त उपलब्ध नहीं है. चावल उपलब्ध […]
कुछ महीनों में कीमत में प्रति किलो 8-10 रुपये तक की हुई बढ़ोतरी
अमर शक्ति
कोलकाता : पश्चिम बंगाल को चावल पैदावार की राजधानी के रूप में जाना जाता है. भारत में सबसे अधिक चावल की पैदावार पश्चिम बंगाल में होती है, लेकिन पैदावार की राजधानी में भी चावल पर्याप्त उपलब्ध नहीं है. चावल उपलब्ध नहीं होने के कारण प्राय: प्रत्येक महीने ही इसकी कीमत में बढ़ोतरी हो रही है. इससे पश्चिम बंगाल में भी थाली से चावल गायब होता जा रहा है.
पिछले एक वर्ष में सभी प्रकार के चावलों की कीमतों में आठ-10 रुपये की वृद्धि हुई है. इस संबंध में कोलकाता के पोस्ता बाजार के चावल व्यवसायी ने बताया कि साधारणत: बाजार में नया चावल आने व पुराना चावल शेष होने के पहले चावल की किल्लत देखने को मिलती है, लेकिन इस वर्ष स्थिति कुछ अलग है, प्रत्येक महीने इसमें वृद्धि हो रही है.
क्या कहना है थोक विक्रेता का
चावल के थोक विक्रेता विजय साहा ने बताया कि रत्ना, मिनिकेट व शताब्दी चावल की कीमत बढ़ने के बाद बाकी चावलों की कीमत भी बढ़ने लगती है. शताब्दी व रत्ना चावल का उत्पादन सभी जगहों पर नहीं होता है, इसलिए यह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होता. बाजार का नियम हो गया कि इन चावलों के दाम बढ़ने पर बाकियों की भी कीमत बढ़ने लगती है.
पोस्ता के एक और थोक विक्रेता संजय अग्रवाल ने बताया कि पिछले कुछ महीने में चावल की कीमत बढ़ने का प्रमुख कारण है मांग व आपूर्ति में अंतर. इसके साथ ही थोक बाजार की दर से साथ खुदरा बाजार में चावल की कीमत में कोई सामंजस्य नहीं है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि खुदरा व्यापारी मनमाने ढंग से इसकी कीमत बढ़ा कर बेच रहे हैं.
एक अन्य चावल व्यवसायी ने बताया कि खाद्य साथी योजना के तहत राज्य सरकार किसानों से मुख्य रूप से स्वर्ण चावल खरीदती है. सिर्फ राज्य सरकार ही नहीं, बल्कि राज्य में सबसे अधिक स्वर्ण व स्वर्णलघु किस्म के चावल की बिक्री होती है. क्याेंकि इससे ही मूढ़ी, चूड़ा व मुढ़की बनाया जाता है. राज्य सरकार द्वारा किसानों को उनकी उपज की अच्छी कीमत दी जा रही है, इसकी वजह से भी चावल की कीमत बढ़ी है.
जानकारों के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा शुरू किये गये खाद्य साथी योजना का भी असर अन्य चावल की कीमतों पर पड़ा है. राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, बंगाल के लगभग 8.5 करोड़ लोग राशन दुकानों से दो रुपये किलो की दर से चावल खरीद रहे हैं, ऐसे में किसानों ने अन्य चावलों के उत्पादन को भी कम कर दिया है. क्योंकि राज्य सरकार द्वारा खाद्य साथी योजना के तहत किसानों को चावल के बेहतर दाम दिये जा रहे हैं. ऐसे में रत्ना, मिनिकेट व शताब्दी जैसे चावलों का उत्पादन कम हो रहा है.
वर्ष 2018 में बढ़ी चावल की कीमत का आंकड़ा
थोक बाजार में – रुपये में)
चावल जनवरी मार्च
स्वर्णलघु 23 25
रत्ना 23 27
मिनिकेट 34 39
शताब्दी 35 40
दुधेश्वर 36 40
बांसकाठी 45 50
क्या कहना है राइस मिल एसोसिएशन का
इस संबंध में बंगाल राइस मिल्स एसोसिएशन के सह सचिव एस मंडल ने बताया कि हम लोग जिस कीमत पर धान खरीदते हैं और जिस कीमत पर बेचते हैं. इसका नियंत्रण हमारे हाथ में नहीं है. राइस मिल, डिस्ट्रीबुटर, थोक विक्रेता व खुदरा व्यापारी से होते हुए क्रेताओं को जाता है. इसलिए कीमत तय करना हमारे हाथ में नहीं है.
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