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लघु बचत में बंगाल बना देश का नंबर वन राज्य
पोस्ट ऑफिस में चल रही छोटी बचत स्कीम में बंगाल के लोगों ने 2016-17 में 63,392 करोड़ रुपये जमा किये कोलकाता : भारत में लघु बचत के मामले में बंगाल ने सभी प्रदेशों को पीछे छोड़ दिया है. इतना ही नहीं बंगाल के शहरी इलाकों से अधिक छोटी बचत ग्रामीण इलाकों में हो रही है. […]
पोस्ट ऑफिस में चल रही छोटी बचत स्कीम में बंगाल के लोगों ने 2016-17 में 63,392 करोड़ रुपये जमा किये
कोलकाता : भारत में लघु बचत के मामले में बंगाल ने सभी प्रदेशों को पीछे छोड़ दिया है. इतना ही नहीं बंगाल के शहरी इलाकों से अधिक छोटी बचत ग्रामीण इलाकों में हो रही है.
यह आंकड़े केंद्रीय वित्त मंत्रालय के सर्वे में सामने आये हैं. सर्वे से पता चला है कि बंगाल ने उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों को भी पीछे छोड़ दिया है. नैशनल सेविंग इंस्टीट्यूट (एनएसआई) द्वारा यह सर्वे बीते तीन साल में किया गया. सर्वे की मानें तो पोस्ट ऑफिस में चल रही छोटी बचत स्कीम में बंगाल के लोगों ने 2016-17 में 63,392 करोड़ रुपये जमा किये. यह आंकड़ा यहां दिये गये 6,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य को पार कर गया. अर्थशास्त्री अभिरूप सरकार ने बताया कि बंगाल के लोग प्रगति कर रहे हैं.
लोगों के बीच लघु बचत करने को लेकर जागरूकता आ रही है. इस वजह से लोग चिटफंड की जगह पोस्ट ऑफिस की छोटी बचत स्कीम में रुपये जमा कर रहे हैं. पीपीएफ जैसी लघु बचत स्कीम में रुपये जमा करने वालों को दिए जाने वाले ब्याज में 1 अप्रैल 2016 से कटौती की गयी है इसके बावजूद लोग इस स्कीम में रुपये जमा कर रहे हैं.
एनएसआई के आंकड़े बताते हैं कि बंगाल के ग्रामीण इलाकों से लोग छोटी बचत स्कीम पर ज्यादा विश्वास दिखा रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों से बंगाल में सरकार लोगों से चिट फंड की जगह सरकार की लघु बचत स्कीम में रुपये जमा करने का अभियान चला रही है. बंगाल सरकार इलाकों में जाकर लोकनृत्य और लोकगीत के माध्यम से लोगों को समझाती है. इलाकों में पोस्टर्स लगाए जाते हैं. लोगों की काउंसिलिंग की जाती है. हालांकि बंगाल वित्त विभाग के अधिकारियों की मानें तो चिट फंड कंपनियों के ज्यादा ब्याज देने की योजना लोगों को वहां निवेश करने के लिए ज्यादा लुभाती है. सरकारी लघु बचत योजना में बहुत कम ब्याज होने से परेशानी आ रही है.
दो करोड़ के आसपास लघु बचत खाता धारक
केंद्र सरकार ने कई योजनाओं से ब्याजदर घटा दी थी. किसान विकास पत्र पर जहां पहले 8.7 फीसदी ब्याज मिलता था वहीं अब यह 7.8 फीसदी हो गया है. सुकन्या समृद्धि खाते में ब्याजदर 9.2 फीसदी से घटाकर 8.6 फीसदी कर दी गयी है. बंगाल में अभी दो करोड़ के आसपास लघु बचत खाता धारक हैं. इनमें से लगभग 15 फीसदी यानि 30 लाख लोग ग्रामीण इलाकों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आते हैं.
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