कोलकाता : केंद्रीय सरकार की नीतियों के खिलाफ व 12 सूत्री मांगों को लेकर सीटू, इंटक, एटक, यूटीयूसी, टीयूसीसी, एआइसीसीटीयू, एचएमएस समेत अन्य केंद्रीय ट्रेड यूनियनें, विभिन्न फेडरेशन समूहों और 12 जुलाई कमेटी की ओर से राज्यभर में कानून भंग आंदोलन व जेल भरो अभियान चलाया गया. महानगर में रानी रासमणि रोड में कानून भंग किया गया. मंगलवार को अपराह्न विभिन्न जगहों से आयीं रैलियां विक्टोरिया हाउस के निकट एकत्रित हुईं,
वहां से मुख्य रैली रानी रासमणि रोड को ओर बढ़ने लगी. रैली में सीटू के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष मुखर्जी, सीटू के महासचिव अनादि साहू, इंटक के प्रदेश अध्यक्ष रमेन पांडेय, एटक के प्रदेश अध्यक्ष रंजीत गुहा, प्रदेश एटक के महासचिव उज्जवल चौधरी, प्रदेश एटक के नेता व नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (एटक) के राष्ट्रीय सचिव नवल किशोर श्रीवास्तव, एआइसीसीटीयू के दिवाकर भट्टाचार्य, यूटीयूसी के अशोक घोष समेत विभिन्न केंद्रीय ट्रेड यूनियन के नेता व सदस्य मौजूद रहे. रानी रासमणि रोड पर पुलिस ने बैरिकेड द्वारा रैली आगे बढ़ने से रोक दिया. इस क्रम में वहां धरना-प्रदर्शन शुरू हुआ. काफी मशक्कत के बाद स्थिति नियंत्रित हो पायी.
सीटू के महासचिव अनादि साहू ने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन जारी है. उसी आंदोलन के तहत मंगलवार को पश्चिम बंगाल में कानून भंग आंदोलन चलाया गया. आंदोलन के दौरान महंगाई पर लगाम लगाने, बेरोजगारी की समस्या दूर करने, श्रमिकों की न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये दिये जाने,
तमाम श्रमिकों-कर्मचारियों के लिए कम से कम तीन हजार रुपये मासिक पेंशन की व्यवस्था समेत 12 सूत्री मांगें की गयीं. आरोप के अनुसार कानून भंग आंदोलन के दौरान कई जिलों में पुलिस ने बल प्रयोग किया.
उसकी निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा नीत केंद्र सरकार की कथित श्रमिक व जन विरोधी नीतियों का विरोध किया गया, ऐसे में राज्य में पुलिस द्वारा बल प्रयोग की घटना से राज्य सरकार की दोहरी नीति स्पष्ट हो रही है. प्रदेश एटक के नेता नवल किशोर श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि केंद्रीय सरकार की नीति किसी के हित में नहीं है, चाहे व श्रमिक हो,
किसान हो या फिर आम आदमी. करोड़ों रुपये के पीएनबी घोटाले को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि यह अब तक का देश का सबसे बड़ा बैंक घोटाला है. प्रस्तावित एफआरडीआइ बिल भी आम लोगों के हित में नहीं है. उन्होंने कहा कि उक्त बिल के लागू होने से आम लोगों की जमा पूंजी पर खतरा मंडराने लगेगा. आरोप के अनुसार मौजूदा केंद्र सरकार आम लोगों की नहीं बल्कि काॅरपोरेट सेक्टर की सरकार है. श्रमिक व किसानों के मौलिक अधिकारों का खतरा बना हुआ है.