महाराष्ट्र के बाद सर्वाधिक कर्ज लेनेवाला दूसरा राज्य बना पश्चिम बंगाल
Advertisement
बंगाल पर 1.16 करोड़ के ऋण का बोझ
महाराष्ट्र के बाद सर्वाधिक कर्ज लेनेवाला दूसरा राज्य बना पश्चिम बंगाल राज्य सरकार ने इस वर्ष 26 हजार करोड़ रुपये उगाहे कोलकाता : पिछले पांच वर्षों पर नजर डालें, तो पश्चिम बंगाल पर ऋण का बोझ 1.16 लाख करोड़ रुपये बढ़ा है. केवल इस वर्ष की बात करें, तो राज्य सरकार ने 26 हजार करोड़ […]
राज्य सरकार ने इस वर्ष 26 हजार करोड़ रुपये उगाहे
कोलकाता : पिछले पांच वर्षों पर नजर डालें, तो पश्चिम बंगाल पर ऋण का बोझ 1.16 लाख करोड़ रुपये बढ़ा है. केवल इस वर्ष की बात करें, तो राज्य सरकार ने 26 हजार करोड़ रुपये उगाहे हैं. यह देश भर में सर्वाधिक ऋण लनेवाला दूसरा राज्य बन गया है. भारतीय रिजर्व बैंक के तथ्यों से यह स्पष्ट होता है.
महाराष्ट्र के साथ इसकी तुलना करें, तो महाराष्ट्र ने सर्वाधिक ऋण लिया है. बाजार से उसने 35 हजार करोड़ रुपये लिये हैं. ज्यादातर ऋण पुराने ऋण को चुकाने के लिए लिये गये हैं. राज्य के लिए अधिक चिंता की बात ऋण के उच्च ब्याज को चुकाना है. बाजार से लिए गये ऋण को चुकाने का बोझ वर्ष 2016-17 के 3200 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2017-18 में यह 11610 करोड़ रुपये, यानी तीन गुणा से अधिक बढ़ गया है.
राज्य को इस वर्ष जो कुल ऋण चुकाना है, वह 45340 करोड़ रुपये है. औसतन राज्य के कुल ऋण में से बाजार का ऋण सालाना करीब तीन हजार करोड़ रुपये रहता है. अचानक आयी इसमें वृद्धि से राज्य पर ऋण को अदा करने का दबाव अगले तीन महीनों में काफी बढ़ जानेवाला है. साथ ही 2017-18 में राज्य का बाजार से सर्वाधिक ऋण लेनेवाले राज्यों में पहला स्थान हो जायेगा. 2013-14 के अंत में राज्य पर कुल ऋण का बोझ करीब 2.50 लाख करोड़ रुपये था.
जो इस वित्त वर्ष के समाप्त होने तक बढ़ कर 3.66 लाख करोड़ रुपये हो जाने की संभावना है. वर्ष 2003 में केंद्र सरकार ने ऋण बदलने की योजना शुरू की थी, जिसमें राज्य सरकारों को अधिक ब्याजवाले ऋण के बदले कम ब्याजवाले ऋण से बदलने की सुविधा दी गयी थी. उस वक्त पश्चिम बंगाल ने इस योजना में भाग नहीं लिया था. 2007 से पश्चिम बंगाल का बाजार से ऋण लगातार बढ़ा है. ज्यादातर ऋण राज्य विकास ऋण के मार्ग के जरिये थे. जो कि 10 वर्ष में मैच्योर होते थे.
ज्यादातर पब्लिक सेक्टर बैंक व अन्य सरकारी उपक्रमों ने इसे लिया था. पिछले कुछ वर्षों से पश्चिम बंगाल सरकार ने सफलतापूर्वक अपने कर उगाही को बेहतर किया है. 2017-18 में राज्य सरकार ने 55787 करोड़ रुपये कर उगाही की संभावना जतायी है, जबकि पिछले वर्ष यह 48927 करोड़ रुपये था. यानी 14 फीसदी की बढ़ोतरी. पिछले पांच वर्षों में पश्चिम बंगाल में कर राजस्व में करीब 50 फीसदी का इजाफा हुआ है. 2012-13 में कर राज्स्व 32808 करोड़ रुपये था. हालांकि ऋण के अधिक बोझ की वजह से कर उगाही में वृद्धि से राज्य के कोष में कोई खास फर्क होता नहीं दिखता.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement