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मनुष्य की आकांक्षा परमोन्नति में बड़ी बाधा

प्रवचनlक्लब टाउन में श्रीमद् भागवत महापुराण यज्ञ के दूसरे दिन बोले पंडित मालीराम शास्त्री कोलकाता : मनुष्य ज्यों-ज्यों उन्नति की ओर बढ़ता है त्यों-त्यों उस पर सांसारिक मोह माया की मृग-तृष्णा हावी हो जाती है. जीवन चक्र में रिश्ते-नाते कुटुम्ब के आस-पास ही सीमित होती मनुष्य की आकांक्षा परमोन्नति में सबसे बड़ी बाधा है.’ यह […]

प्रवचनlक्लब टाउन में श्रीमद् भागवत महापुराण यज्ञ के दूसरे दिन बोले पंडित मालीराम शास्त्री

कोलकाता : मनुष्य ज्यों-ज्यों उन्नति की ओर बढ़ता है त्यों-त्यों उस पर सांसारिक मोह माया की मृग-तृष्णा हावी हो जाती है. जीवन चक्र में रिश्ते-नाते कुटुम्ब के आस-पास ही सीमित होती मनुष्य की आकांक्षा परमोन्नति में सबसे बड़ी बाधा है.’ यह उद्गार वीआइपी रोड स्थित क्लब टाउन कम्युनिटी हाॅल में नरेश-सुधा अग्रवाल के मुख्य यजमानत्व में आयोजित सप्ताह व्यापी श्रीमद् भागवत महापुराण यज्ञ के द्वितीय दिन की कथा का प्रारम्भ करते हुए भागवत मर्मज्ञ पं मालीराम शास्त्री ने व्यक्त किये.
उन्होंने कहा कि सुख-संसाधनों और भौतिक सुखों के आनंद में मग्न हुआ मनुष्य भगवान की भक्ति कैसे कर सकता है. उस पर तो पहले से ही न जाने कितनी जिम्मेदारियों का बोझ है. यही मृगतृष्णा आगे चल कर मानव के लिए बड़ी ही दुःखदायी हो जाती है. इन सबसे छुटकारा पाने का सुगम उपाय केवल प्रभु नाम का आसरा ही है. यही एक सहारा मनुष्य को दुःख भरे संकटों से उबारने में सक्षम है. पं शास्त्री ने कहा कि भगवत नाम की महिमा अपार है. गंगा, गीता, गायत्री, गुरु, गाय, गोपी चंदन, शालीग्राम, तुलसी अर्चन और भगवान के नाम संकीर्तन ने ही हमें बचा रखा है. इसे जानने वाले के पास सांसारिक मृगतृष्णा रुपी भंवर जाल फटकता ही नहीं है.
उन्होंने कहा कि मन जब विषयों में रमता है वह बंधन है और राम में रमता है वह मुक्ति है. बस यही अध्यात्म योग है. पं. शास्त्री ने कहा कि नर ही नारायण है और नर सेवा ही नारायण सेवा है, जो लोग दीन-हीनों की सेवा नहीं करते और केवल पत्थर की मूर्तियों को 56 भोग लगाते हैं, यह पाखंड है. सती चरित्र की कथा पर प्रवचन करते हुए कहा कि विवाहिता स्त्री के लिए उसका असली सुख ससुराल में होता है. जो स्त्री पीहर में ज्यादा मोह रखती है उसका नाश हो जाता है. आज कथा प्रसंग के अनुसार शिव-पार्वती विवाह की झांकी प्रस्तुत की गयी. शिव विवाह के दौरान सुमधुर भजनों पर उपस्थित श्रद्धालु झूम उठे. कथा के तीसरे दिन 25 नवंबर को पं. शास्त्री जड़ भरत अजामिल व प्रहलाद चरित्र पर दोपहर 2 बजे से सायं 6 बजे प्रवचन करेंगे.

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