कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस की नीतियों पर सवाल उठाती एक किताब सामने आयी है. पूर्व सांसद व नेताजी सुभाष चंद्र बोस की रिश्तेदार कृष्णा बोस की किताब, ‘एन आउटसाइडर इन पॉलिटिक्स’ में लिखा है कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 2002 में गुजरात दंगों के बाद लाया गया था.
ज्यादातर तृणमूल सांसदों ने उसके पक्ष में वोट करने से इनकार कर दिया था. वह प्रस्ताव के पक्ष में नैतिक आधारों पर थी. कृष्णा बोस ने कहा कि वह ममता बनर्जी को प्रस्ताव के पक्ष में वोट करने के लिए मना नहीं सकी, लेकिन वह पार्टी के व्हिप का उल्लंघन भी नहीं कर सकती थीं. बतौर पार्टी सदस्य और व्यक्तिगत रूप से उनके लिए दुखद दिन था. विरोधियों का यहां तक कहना है कि ममता बनर्जी ने 2002 में मोदी के चुनाव जीतने के बाद उन्हें फूल भी भेजे थे. अब तृणमूल, भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी का पुरजोर विरोध कर रही है. तृणमूल के मुताबिक वह ऐसी दंगों की सरकार के खिलाफ है. ममता बनर्जी व उनकी पार्टी मोदी पर विभिन्न रैलियों में निशाना साधती रही हैं. वह एनडीए में शामिल होने की कोई संभावना नहीं देखतीं और गैर कांग्रेसी और गैर भाजपा पार्टियों के संघीय मोरचा की वकालत कर रही हैं. इसमें वाम दलों को भी स्थान नहीं दिया गया है, लेकिन कृष्णा बोस की यह किताब तृणमूल के लिए स्थिति विकट करनेवाली है.