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डेंगू: केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने कहा, डॉक्टर के निलंबन की जांच करायेगी केंद्र सरकार

वाराणसी़/कोलकाता. केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने शनिवार को कहा है कि पश्चिम बंगाल में डेंगू से हुई मौतों को लेकर रिपोर्ट देने वाले डॉक्टर को निलंबित करने के मामले की जांच करायी जायेगी. राज्य सरकार ने किन कारणों से डेंगू की रिपोर्ट देने वाले डॉक्टर को निलंबति किया है, इसकी जांच होगी. यह […]

वाराणसी़/कोलकाता. केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने शनिवार को कहा है कि पश्चिम बंगाल में डेंगू से हुई मौतों को लेकर रिपोर्ट देने वाले डॉक्टर को निलंबित करने के मामले की जांच करायी जायेगी. राज्य सरकार ने किन कारणों से डेंगू की रिपोर्ट देने वाले डॉक्टर को निलंबति किया है, इसकी जांच होगी.
यह मामला गंभीर है. डॉक्टर को भी इसके लिए उचित फोरम में जाना चाहिए. केंद्रीय राज्य मंत्री अखिल भारतीय विद्वत पर्षद के अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी एवं विद्वत अलंकरण समारोह में शामिल होने काशी पहुंचे थे. गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के बारासात जिला अस्पताल में तैनात एक डॉक्टर ने अपनी फेसबुक पोस्ट में डेंगू के हालात की चर्चा की थी. अस्पताल में आ रहे बड़ी संख्या में मरीजों की स्थिति और बीमारी के बारे में उन्होंने अपनी पोस्ट में चर्चा की थी. शुक्रवार को राज्य सरकार ने चिकित्सक अरुणाचल दत्त चौधरी को निलंबित कर दिया.
सोशल मीडिया पर डेंगू से संबंधित आंकड़े सार्वजनिक किये जाने पर राज्य सरकार द्वारा बारासात जिला अस्पताल के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक अरुणाचल दत्त चौधरी कोे निलंबित किये जाने से डॉक्टरों में भारी रोष है. डॉ दत्त चौधरी को सम्मान के साथ पद पर लौटाने के लिए सर्विस डॉक्टर फोरम व मेडिकल सर्विस सेंटर की ओर से राज्यपाल को पत्र लिखा गया है. फोरम के राज्य महासचिव डॉ सजल विश्वास ने कहा कि सरकार राज्यवासियों को डेंगू के कहर से दूर रखने में अब तक विफल रही हैं. यही नहीं एक ऐसे वरिष्ठ चिकित्सक, जो डेंगू की महामारी से बचने के लिए सरकारी अस्पताल में न केवल मरीजों का इलाज करते हैं, बल्कि लोगों को जागरूक करने के लिए डेंगू से जुड़े तथ्यों को उन्होंने फेसबुक वाल पर पोस्ट किया था, उनके पोस्ट को पढ़ कर सचेत होने के बजाय उल्टे डॉ दत्त चौधरी को निलंबित कर दिया गया. डॉ विश्वास ने कहा कि सरकार जिस तरह से डेंगू के तथ्यों को छुपाने में लगी उससे राज्य की स्थिति और भी खराब हो सकती है. उन्होंने कहा कि इस घटना को लेकर संगठन‍ की ओर से जल्द ही स्वास्थ्य भवन में भी ज्ञापन सौंपा जायेगा.
क्या है मामला:डॉ अरुणाचल दत्त चौधरी एमडी हैं और बारासात जिला अस्पताल में कार्यरत हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर यह दावा किया था कि छह अक्तूबर को 500 लोग अस्पताल में भर्ती हुए थे. उन्होंने अपनी पोस्ट पर यह भी लिखा था कि उन्हें अस्पताल में कई मरीजों के इलाज में संघर्ष करना पड़ा, जिसमें से कई अब भी फर्श पर पड़े हुए थे. पोस्ट के सामने आने के बाद राज्य के स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी किये गये निलंबन आदेश में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर अरुणाचल दत्त चौधरी की पोस्ट जनता को भ्रमित कर रही है. डेंगू से संबंधित आकड़े गलत और अपमानजनक है. स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में डॉ दत्त चौधरी को निलंबित कर दिया है.
बोले निलंबित डॉक्टर
अपने दोस्तों को डेंगू के विषय में जानकारी देने के लिए फेसबुक वाल पर लिखा था. लेकिन सरकार ने इसे गलत तरीके से ली है. इससे ज्यादा मुझे इस विषय में कुछ नहीं कहना है.
डॉ अरुणाल दत्त चौधरी, निलंबित चिकित्सक
डेंगू से मौत पर लिख दिया जाता है मल्टी ऑर्गन फेलियोर
चिकित्सकों ने बताया कि आम तौर पर डेंगू से मारे गये लोगों के डेथ सर्टिफिकेट पर मल्टी ऑर्गन फेलियोर दिखाया जा रहा है. लेकिन अगर किसी शव का पोस्टमार्टम हो और उसकी मौत डेंगू से हुई हो तथा डेथ सर्टिफिकेट पर सिर्फ मल्टी ऑर्गन फेलियोर या अन्य कारण लिखे गये हों तो अस्पताल प्रबंधन व चिकित्सक दोनों फंस सकते हैं.

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