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कोलकाता : कमल कुमार दुगड़ मेवाड़ रत्न से सम्मानित

कोलकाता : जनमानस के मानस को पावन बनाने वाले, मानवता के कल्याण के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित करने वाले, जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता, महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी का कोलकाता का चतुर्मास अब परिसम्पन्नता की ओर है. इस अवधि में अनेक विविधमुखी कार्यक्रमों का आयोजन […]

कोलकाता : जनमानस के मानस को पावन बनाने वाले, मानवता के कल्याण के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित करने वाले, जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता, महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी का कोलकाता का चतुर्मास अब परिसम्पन्नता की ओर है.
इस अवधि में अनेक विविधमुखी कार्यक्रमों का आयोजन हुआ. इसी श्रंखला में शुक्रवार को मेवाड़ शिरोमणी महाराणा प्रताप सेवा समिति, कुम्भलगढ़, राजस्थान द्वारा वीररस से ओतप्रोत गीतों की काव्य संध्या का आयोजन महाश्रमण विहार स्थित अध्यात्म समवसरण में किया गया. काव्य संध्या में वीररस के ख्याति प्राप्त गीतकार माधव दरक, सिद्धार्थ देवल, सोहन चौधरी एवं श्रेणी दान चारण ने अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं का मन मोह लिया. वीर रस के गीतों से सभी के मन में शक्ति का नवसंचार होने लगा. विशेष रूप से माधव दरक के काव्य “मायड़ थारों बो पूत कठें” ने श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया.
कार्यक्रम के शुभारंभ में विनोद बैद ने विशिष्टजनों को मंचासीन करवाते हुए आगन्तुक कवियों का परिचय प्रस्तुत किया एवं इस आयोजन की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला.
काव्य संध्या के पावन अवसर पर महाराणा प्रताप जिनका नाम ही राष्ट्रप्रेम, शौर्य और वीरता का पर्याय है के अनन्य भक्त श्री कमल कुमार दुगड़ को “मेवाड़ रत्न” अलंकरण से अलंकृत किया गया.
इस अवसर पर मेवाड़ शिरोमणी महाराणा प्रताप सेवा समिति के अध्यक्ष माधव दरक ने कमल कुमार दुगड़ एवं अन्य मंचासीन विशिष्टजनों को हल्दीघाटी की पवित्र मिट्टी के तिलक से सम्मानिक किया. तत्पश्चात माधव दरक ने कमल कुमार दुगड़ को स्मृतिफलक के रूप में शौर्य का प्रतीक तलवार भेंट की एवं महाराणा प्रताप सेवा समिति के सचिव नारायण बाहेती ने मैवाड़ी पगड़ी पहना कर उन्हें सुशोभित किया.
इस अवसर पर श्री दुगड़ को महाराणा प्रताप की प्रतिकृति भी भेंट की गयी. धन्यवाद ज्ञापन में कमल दुगड़ ने कहा कि मेरा कौन-सा गुण देखकर आपलोगों ने मुझे यह सम्मान दिया है पता नहीं? मैंने आज पुनः वचनबद्ध होता हूं कि जब-जब समाज को, राष्ट्र को मेरी जरूरत पड़ेगी, मैं समर्पित होने को तैयार हूं.

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