श्री भट्टाचार्य ने विधानसभा में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के बयान से ही साफ है कि उन्होंने दार्जिलिंग में भाषा की बात कही थी, हालांकि इस बाबत अधिसूचना जारी नहीं की गयी थी. उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग केवल कानून व्यवस्था की स्थिति नहीं है, वरन यह बहुत ही संवेदनशील मसला है. इस समस्या का समाधान आपसी विचार-विमर्श से ही संभव है, लेकिन इस बाबत न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकार ही कोई कदम उठा रही है. राज्य सरकार की ओर से त्रिपक्षीय बैठक के लिए केंद्र सरकार को अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया है.
वाम मोरचा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि उन लोगों ने नियम 185 के तहत दार्जिलिंग मामले पर बहस का प्रस्ताव दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री ने जिस तरह से बाढ़ व दार्जिलिंग पर खुद ही बयान दिया. उससे बहस का कोई मतलब नहीं रह गया. यह जनतांत्रिक व्यवस्था को बाइपास करने की कोशिश है. इसी कारण ही उन लोगों ने ही विधानसभा की कार्यवाही से वाकआउट किया. उन्होंने कहा कि गोरखालैंड आंदोलन का बीज 2011 के समझौते में ही छुपा हुआ था. कभी मुख्यमंत्री कहती थीं कि पहाड़ हंस रहा है, लेेकिन अब वह यह बतायें क्यों पहाड़ की यह स्थिति हो गयी है.