कोलकाता. विभिन्न सामाजिक संगठनों का गंठबंधन नेशनल एलायंस ऑफ पिपुल्स मुवमेंट (एनएपीएम) ने मतदाताओं से आह्वान किया है कि वह उनके पास वोट मांगने के लिए पहुंच रहे राजनीतिक दलों व प्रत्याशियों से यह सवाल जरूर करें कि उनके सामाजिक, नागरिक व लोकतांत्रिक अधिकारों के बारे में उनकी सोच व नीति क्या है? मतदाताओं की सुविधा के लिए एनएपीएम ने 34 सूत्री मांगों की एक तालिका भी तैयार की है. इसमें प्राकृतिक संसाधनों की लूट बंद करने, विदेशों में जमा काला धन वापस लाने, विकास परियोजना को लोगों के साथ बातचीत कर पूरी करने, मौत की सजा रद्द करने, यूएपीए कानून को खत्म करने, भ्रष्टाचार व महंगाई पर अंकुश लगाने, धारा 377 को रद्द करने इत्यादि की मांग शामिल हैं.
एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान एनएपीएम के राष्ट्रीय संयोजक सुजात भद्र ने आरोप लगाया कि रानजीतिक दलों के चुनावी घोषणा पत्रों में आम लोगों की भलाई व हित की कोई बात नहीं होता है.
उन्हें केवल सब्जबाग दिखाये जाते हैं. वादे कर उन्हें नहीं निभाना राजनीतिक दलों की परंपरा बन चुकी है. आम इंसान की रोजमर्रा की जरुरी बातों का चुनावी घोषणा पत्र में कोई जिक्र नहीं होता है. इसलिए मतदाताओं को चाहिए कि जब कोई उम्मीदवार उनके पास वोट मांगने के लिए जाये तो उनसे इन मुद्दों पर सवाल जरूर करें. श्री भद्र ने कहा कि सभी राजनीतिक दल विदेशों से काला धान वापस लाने की बात करते हैं, पर चुनाव जीतने के बाद सभी भूल जाते हैं. गुजरात के विकास को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जा रहा है, जिसका हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है. गुजरात समेत सारे देश में प्राकृतिक संसाधनों की लूट हो रही है. कुछ कॉरपोरेट घराने अपने पैसे के बल पर देश की संपदा को लूट रहे हैं. श्री भद्र ने बताया कि इन मांगों को हम लोग सभी राजनीतिक दलों के पास भेजेंगे और मतदाता के पास जा कर उन्हें भी जागरूक करेंगे.