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अब लड़कियों से गुलामी की अपेक्षा ना करें
कोलकाता: अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन द्वारा सम्मेलन सभागार में पंचहीन समाज : बढ़ते तलाक विषय पर अायोजित संगोष्ठी में बोलते हुए समाजचिंतक सीताराम शर्मा ने प्रस्ताव रखा कि सम्मेलन माध्यम से समाज के 11 लोगों की एक पंचायत बनायी जानी चाहिए, जो कि बढ़ते तलाक को रोकने की दिशा में कारगर कदम उठाये. इस प्रस्ताव […]
कोलकाता: अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन द्वारा सम्मेलन सभागार में पंचहीन समाज : बढ़ते तलाक विषय पर अायोजित संगोष्ठी में बोलते हुए समाजचिंतक सीताराम शर्मा ने प्रस्ताव रखा कि सम्मेलन माध्यम से समाज के 11 लोगों की एक पंचायत बनायी जानी चाहिए, जो कि बढ़ते तलाक को रोकने की दिशा में कारगर कदम उठाये. इस प्रस्ताव का उपस्थित लोगों ने पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि यह समय की मांग है.
श्री शर्मा ने कहा कि हमारे समाज में सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों का पतन इस कदर तक हो गया कि बाप अपने ही बेटे से डरने लगा है. उन्होंने बताया कि बढ़ते तलाक इसलिये भी चिंतनीय है कि कई मामलों में देखा जा रहा है कि लड़कियां विवाह करने से कतराने लगी हैं. यह कोई शुभ संकेत नहीं है. अगर समय रहते कारगर कदम नहीं उठाये गये तो स्थिति काफी सोचनीय हो सकती है.
बतौर वक्ता रतन शाह ने बताया कि 4 अगस्त 1947 को समाज की सबसे बड़ी अौर पहली पंचायत बड़ाबाजार के विशुद्धानंद विद्यालय के प्रांगण में हुई थी, जब समाज के लोगों पर घी में मिलावट किये जाने का अारोप लगा था. तब पंचों को परमेश्वर माना जाते थे. लोगों के मन में उनके प्रति श्रद्धा तथा सामाजिक बहिष्कार होने का भय था. सामाजिक प्रतिष्ठा वाले व्यक्तियों को निजी स्वार्थ का त्याग करना होगा तथा बेखौफ होकर सही फैसला देने की प्रवृत्ति रखनी होगी, तभी पंच परमेश्वर की व्यवस्था पुनः शुरू हो सकती है. बढ़ते तलाक पर उन्होंने कहा कि लड़कियां शिक्षित हो रही हैं, इसलिये अब उनसे गुलामी की अपेक्षा नहीं की जा सकती. राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संतोष सराफ ने कहा कि बचपन से संस्कार दिये जाने पर तलाक में कमी अा सकती है.
संगोष्ठी का संचालन करते हुए राष्ट्रीय संगठन मंत्री संजय हरलालका ने कहा कि अग्रवाल समाज में विवाह के दौरान बैंड-बाजे पर प्रतिबंध समाज के लोगों ने लगाया था जो कि अाज तक जारी है. राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री दिनेश जैन ने कहा कि कई मामलों में लड़की द्वारा भी अत्याचार किये जाने की बात सामने अायी है.
नंदकिशोर अग्रवाल, नंदलाल सिंहानिया, प्रदीप सिंहानिया, जगदीश चंद्र मूंधड़ा, राजेंद्र राजा, बृजमोहन बेरीवाला, अमित मूंधड़ा, गोपाल झुनझुनवाला सहित अन्यों ने भी समस्या तथा प्रस्ताव रखे. धन्यवाद दिया राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष कैलाशपति तोदी ने.
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