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पशुओं के कारण सड़क हादसों में जाती है सैकड़ों जान

कोलकाता: आवारा पशुओं की वजह से भी सड़क हादसों में इजाफा हो रहा है. ऐसी घटनाएं नेशनल हाइवे, स्टेट हाइवे, शहरों के प्रमुख मार्गों पर भी होती हैं. सड़क पर यूं ही घूम रहे पशु की वजह से हादसे तो होते ही हैं, कभी-कभी वे खुद भी हादसों के शिकार होते हैं. आवारा पशुओं की […]

कोलकाता: आवारा पशुओं की वजह से भी सड़क हादसों में इजाफा हो रहा है. ऐसी घटनाएं नेशनल हाइवे, स्टेट हाइवे, शहरों के प्रमुख मार्गों पर भी होती हैं. सड़क पर यूं ही घूम रहे पशु की वजह से हादसे तो होते ही हैं, कभी-कभी वे खुद भी हादसों के शिकार होते हैं. आवारा पशुओं की वजह से पश्चिम बंगाल में भी कई हादसे हुए. ऐसे मामलों में ज्यादातर शिकार दोपहिया वाहन सवार होते हैं. सड़क पर यदि वाहन की काफी रफ्तार हो और बीच में अचानक कोई पशु आ जाये तो चालक को वाहन संभालना काफी मुश्किल हो जाता है. कई दफा उन्हें गंभीर चोट लगती है तो कई मामलों में बाइक सवारों की मौत हो जाती है.

सरकारी रिपोर्ट : करीब 0.3 प्रतिशत हादसों का कारण बने पशु

एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, देश में होने वाले सड़क हादसों में करीब 0.3 प्रतिशत हादसों का कारण लावारिश व आवारा पशु होते हैं. वर्ष 2014 में देश में कुल सड़क हादसे 486476 हुए, इनमें 139671 लोगों की मौत हो गयी, जबकि 493474 लोग घायल हुए. इस वर्ष करीब 886 लोगों की मौत का कारण लावारिश और आवारा पशु बने. पश्चिम बंगाल में करीब 55 लोगों की मौत उपरोक्त कारण से हुए. वर्ष 2015 की बात करें तो देश में कुल 501427 सड़क हादसे हुए. इनमेें करीब 146133 लोगों की मौत हो गयी, जबकि 500279 लोग घायल हुए. इस अंतराल में देश में करीब 1534 हादसों का कारण लावारिश और आवारा पशु बने जिनमें 579 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी जबकि 2044 लोग घायल हुए. पश्चिम बंगाल में 107 सड़क हादसों का कारण पशु बने जिनके कारण 48 लोगों की मौत हुए जबकि 122 लोग घायल हुए.

एेसे हादसों में गयी लोगों की जान

राज्य 2014 2015

आंध्र प्रदेश 38 14

अरुणाचल प्रदेश 00 04

असम 74 03

बिहार 10 22

छत्तीसगढ़ 59 23

गुजरात 40 09

हरियाणा 16 109

हिमाचल प्रदेश 06 00

झारखंड 28 04

कर्नाटक 65 26

केरल 31 03

मध्य प्रदेश 71 30

महाराष्ट्र 92 14

ओड़िशा 106 00

पंजाब 06 71

राजस्थान 44 17

तमिलनाडु 57 01

उत्तर प्रदेश 57 96

पश्चिम बंगाल 55 48

क्या कहते हैं लोग

पेशे से वाहन चालक रूपेश कुमार गुप्ता का कहना है कि काम के सिलसिले में उसे प्राय: बाहर ही रहना पड़ता है. पेशे के कारण उसे नेशनल व स्टेट हाइवे समेत कई महत्वपूर्ण मार्गों से गुजरना होता है. उसने बताया कि हाइवे पर वाहन काफी रफ्तार में होते हैं. ऐसे में यदि कोई आवारा पशु बीच में आ जाये तो उसे नुकसान पहुंचता है या फिर उसे बचाने के चक्कर में वाहन नियंत्रण कर पाना कठिन हो जाता है. यदि प्रशासन इस समस्या के बारे में ठोस कदम उठाता तो शायद कई हादसे टल जाते. कई लोगों ने लावारिश और आवारा पशुओं की नशबंदी अभियान पर भी जोर दिया है. अन्य कई लोगों ने भी उपरोक्त मसले पर प्रशासन से ठोस कदम उठाने की मांग की है.

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