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बाल मुद्दों पर अधिक फिल्में बननी चाहिए : राज्यपाल

कोलकाता. नंदन में सिने सेन्ट्रल कलकत्ता, यूनिसेफ व तलश सोसायटी द्वारा आयोजित 17वें इन्टरनेशनल चिल्ड्रेन्स फिल्म फेस्टीवल का गुरुवार को राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी ने उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि भारतीय सिनेमा का एक गाैरवशाली इतिहास रहा है, लेकिन बच्चों के ऊपर बहुत कम फिल्में बनी हैं. बच्चे देश का भविष्य हैं. विदेश के कुछ […]

कोलकाता. नंदन में सिने सेन्ट्रल कलकत्ता, यूनिसेफ व तलश सोसायटी द्वारा आयोजित 17वें इन्टरनेशनल चिल्ड्रेन्स फिल्म फेस्टीवल का गुरुवार को राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी ने उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि भारतीय सिनेमा का एक गाैरवशाली इतिहास रहा है, लेकिन बच्चों के ऊपर बहुत कम फिल्में बनी हैं. बच्चे देश का भविष्य हैं. विदेश के कुछ टीवी चैनल एवं कार्टून देखने में ही बच्चे अपना समय गंवा रहे हैं. बाल विकास व बाल अधिकारों से जुड़े कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर फिल्म बनायी जानी चाहिए.

पूरे साल भर बच्चों की फिल्में सिनेमाघरों में प्रदर्शित की जानी चाहिए. राज्यपाल ने फिल्म निर्माता व निर्देशकों से शास्त्रीय पंचतंत्रा, जातक कथा, मिथोलोजी व लोक कला पर फिल्में बनाने के लिए अपील की, ताकि बच्चे अपनी भारतीय संस्कृति से जुड़ सकें. इस बाल फिल्मोत्सव से न केवल बच्चों का मनोरंजन होगा बल्कि उनको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा. माता-पिता को अपने बच्चों को यहां लाकर फिल्में दिखानी चाहिए. कार्यक्रम में जाने-माने फिल्म निर्देशक नागेश कुकुनूर द्वारा निर्देशित फिल्म धनक के साथ फिल्मोत्सव का उद्घाटन किया गया. काफी तादाद में उपस्थित बच्चों ने स्क्रीन पर फिल्म धनक का आनंद उठाया. आैपचारिक ताैर पर 17वें इन्टरनेशनल चिल्ड्रेन्स फिल्म फेस्टीवल की शुरुआत आगामी 1 अगस्त से 4 अगस्त तक होगी.

निर्देशक नागेश कुकुनूर ने कहा कि बच्चों की फिल्म को प्रमोट करने के लिए सरकार को प्रयास करना चाहिए. बच्चों में इतना हुनर है कि उनको लेकर अलग-अलग स्तर पर फिल्में बनायी जा सकती हैं. यह क्षेत्र अपार संभावनाओं से भरा हुआ है. कॉमर्शियल फिल्में तो बहुत बनती हैं लेकिन बच्चों पर भारत में बहुत कम फिल्में बनती हैं.

उनका कहना है कि फिल्मों का बच्चों के दिमाग पर बहुत असर पड़ता है. फिल्मों से उनको कई तरह की शिक्षा व उनके अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनाया जा सकता है. उनको बच्चों की फिल्म बनाने व उनके साथ काम करने का अच्छा अनुभव है. बच्चे समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, उन पर फिल्में बनने से सामाजिक स्थिति बदल सकती है. बच्चों का व्यक्तित्व बदला जा सकता है. सिने सेन्ट्रल कलकत्ता, यूनिसेफ व तलश सोसायटी द्वारा आयोजित इस फिल्मोत्सव में फ्रांस, डेनमार्क, जर्मनी, इंडिया, जापान सहित 18 देशों की बाल फिल्में दिखायी जायेंगी.

कार्यक्रम में सिने सेंट्रल कलकत्ता के अध्यक्ष श्यामल सेन ने कहा कि बच्चों की फिल्में एक ऐसा माध्यम है, जिससे युवा प्रतिभाओं को निखरने का माैका मिल सकता है. बच्चे बहुत कुछ सीख सकते हैं. यह उत्सव बच्चों के विकास के लिए एक मजबूत विकल्प है. यूनिसेफ (पश्चिम बंगाल ईकाई) की प्रमुख जेरो मास्टर व तलाश संस्था की कार्यकारी निदेशक आयेशा सिन्हा ने कहा कि फिल्में एक ऐसा शक्तिशाली प्लेटफार्म है जिससे बच्चों की जिंदगी को सकारात्मक तरीके से बदला जा सकता है. अच्छी फिल्मों से उनके दिमाग व हुनर को विकसित किया जा सकता है. पिछड़े व ग्रामीण इलाकों के गरीब बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने में भी बाल फिल्में एक बेहतर विकल्प हैं. इस फिल्मोत्सव में बच्चों के लिए कई ज्ञानवद्धर्क फिल्में दिखायी जायेगी. बच्चे इसका आनंद उठा सकते हैं. उद्घाटन कार्यक्रम में हजारों बच्चे अभिभावकों के साथ उपस्थित रहे.

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