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दार्जीलिंग में बंद रहे डाकघर-बैंक

दार्जीलिंग : बुधवार को दार्जीलिंग शहर में डाकघर और बैंक जैसे सरकारी कार्यालयों में बंद दिखा. इसके अलावा भी कुछ सरकारी कार्यालय बंद रहे. जिला अधिकारी कार्यालय और उसके परिसर में स्थित अन्य कार्यालय खुले रहे. उनके आगे कठोर सुरक्षा व्यवस्था थी. उधर, पृथक गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर रैलियां निकाली गयीं. पुलिस किसी […]

दार्जीलिंग : बुधवार को दार्जीलिंग शहर में डाकघर और बैंक जैसे सरकारी कार्यालयों में बंद दिखा. इसके अलावा भी कुछ सरकारी कार्यालय बंद रहे. जिला अधिकारी कार्यालय और उसके परिसर में स्थित अन्य कार्यालय खुले रहे. उनके आगे कठोर सुरक्षा व्यवस्था थी. उधर, पृथक गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर रैलियां निकाली गयीं. पुलिस किसी भी प्रकार की हिंसा को टालने के लिए गश्त कर रही है.

दार्जीलिंग में चौकबाजार और माल रोड पर और इसके आस पास अधिकतर दुकानें बुधवार को बंद रहीं. पुलिस अत्यधिक सतर्कता बरत रही है और कई इलाकों में गश्त कर रही है. गोजमुमो और अन्य क्षेत्रीय दलों ने अलग राज्य गोरखालैंड की मांग को लेकर कई इलाकों में रैलियां निकालीं. उल्लेखनीय है कि अलग राज्य गोरखालैंड की मांग को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए गोरखा जनमुक्ति मोरचा (गोजमुमो) ने जीटीए, राज्य सरकार और केंद्र सरकार के सभी कार्यालयों में अनिश्चितकालीन बंद रखने का आह्वान किया है. केवल सप्ताह में दो दिन सोमवार और गुरुवार को बैंक और डाकघर को बंद से छूट दी गयी है.

जीएनएलएफ ने तृणमूल से नाता तोड़ा: उधर, पहाड़ में नया राजनीतिक परिदृश्य उभर रहा है. गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) ने आंदोलन में गोजमुमो से हाथ मिलाने के बाद तृणमूल कांग्रेस से गठबंधन तोड़ लिया है. पार्टी ने कहा कि वह अपने गठन के बाद से ही गोरखालैंड के लिए लड़ रही है.

गौरतलब है कि तेज तर्रार नेता सुभाष घिसिंग के नेतृत्व में बने जीएनएलएफ ने अस्सी के दशक में गोरखालैंड के लिए हिंसक आंदोलन की शुरुआत की थी जिसके बाद दार्जीलिंग गोरखा हिल काउंसिल (डीजीएचसी) का गठन किया गया था. बाद में विमल गुरुंग जीएनएलएफ से अगल हो गये और 2007 में गोरखा जनमुक्ति मोरचा की स्थापना की. इसके बाद वह पहाड़ में बड़ी ताकत के रूप में उभरे.

जीएनएलएफ के प्रवक्ता नीरज जिम्बा ने बताया, ‘सुभाष घिसिंग के नेतृत्व में अस्सी के दशक में जीएनएलएफ की स्थापना के बाद से ही यह गोरखालैंड के लिए संघर्ष कर रहा है. हमारा अंतिम लक्ष्य अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को हासिल करना है. उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन कभी भी राजनीतिक या विचारधारा के स्तर पर नहीं रहा बल्कि चुनावी गठबंधन था. जिम्बा ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस उपहार और दानेे के माध्यम से गोरखालैंड की वास्तविक मांग से ध्यान भटका रही है.

राज्यपाल से मिलीं मुख्यमंत्री, पहाड़ के हालात पर चर्चा
गोरखा जनमुक्ति मोरचा (गोजमुमो) व राज्य सरकार के बीच जबरदस्त ठनी हुई है. एक दिन पहले ही केंद्र सरकार ने दार्जीलिंग के हालात के बारे में राज्य से रिपोर्ट तलब की थी. पहाड़ की वर्तमान स्थिति के बारे में विचार-विमर्श करने के लिए बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राजभवन जाकर राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से मुलाकात की. बुधवार को नवान्न जाने से पहले अचानक एसएसकेएम का दौरा करने के बाद मुख्यमंत्री राजभवन चली गयीं. राज्यपाल व मुख्यमंत्री के बीच लगभग आधे घंटे तक बातचीत हुई. राजभवन सूत्रों के अनुसार बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को दार्जीलिंग की वर्तमान परिस्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

मुरुगन जीटीए के नये सचिव बनाये गये

राज्य सरकार ने गोरखा टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) के सचिव डॉनबोस्को लेपचा को उनके पद से हटा दिया है. बुधवार को सरकार की एक विज्ञप्ति में दी गयी जानकारी के अनुसार उन्हें भूमि व भूमि सुधार विभाग में कोलकाता में एलएल कलेक्टर के पद पर भेजा गया है. सी मुरुगन को जीटीए का नया सचिव बनाया गया है. मुरुगन पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक पद पर थे. सिलीगुड़ी-जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण की सीइआे डॉ दीपाप प्रिया को जीटीए के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर पद की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गयी है. राज्य पयर्टन विभाग के संयुक्त सचिव तन्मय चक्रवर्ती पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभालेंगे.

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