उधर, आयकर विभाग के कदम से भाजपा को तृणमूल कांग्रेस पर हमला करने का मौका मिल गया है. बुधवार को पार्टी ने आरोप लगाया कि तृणमूल 2013-14 में राजनीतिक अभियानों पर किये गये 24 करोड़ रुपये से अधिक के खर्च का हिसाब नहीं दे रही है. बुधवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि इस मुद्दे पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने भी सवाल उठाये थे, लिहाजा सच्चाई सामने आनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह होना ही था.
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आयकर विभाग ने तृणमूल को भेजा नोटिस, 24 करोड़ के खर्च का मांगा हिसाब
कोलकाता/नयी दिल्ली: आयकर विभाग ने तृणमूल कांग्रेस को नोटिस भेजकर 2014 के आम चुनाव के दौरान पार्टी द्वारा खर्च किये गये 24 करोड़ रुपये का हिसाब मांगा है. जानकारी के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस की ओर से आयकर विभाग के पास खर्च के संबंध में रिपोर्ट दी गयी थी. लेकिन कथित तौर पर इस रिपोर्ट में […]
कोलकाता/नयी दिल्ली: आयकर विभाग ने तृणमूल कांग्रेस को नोटिस भेजकर 2014 के आम चुनाव के दौरान पार्टी द्वारा खर्च किये गये 24 करोड़ रुपये का हिसाब मांगा है. जानकारी के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस की ओर से आयकर विभाग के पास खर्च के संबंध में रिपोर्ट दी गयी थी. लेकिन कथित तौर पर इस रिपोर्ट में काफी विसंगतियां सामने आयीं.
मैंने पहले ही सवाल खड़ा किया था कि ममता बनर्जी हेलीकॉप्टर में प्रचार कर रही हैं. आखिर इसके लिए बिल कौन भर रहा है? अब जाकर यह खुलासा हुआ है कि असल में यह एक घोटाला है. उन्होंने कहा कि पूरी पार्टी (तृणमूल कांग्रेस) भ्रष्ट है, अकाउंट मेंटेन नहीं किया गया.
उधर, दिल्ली में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने तृणमूल कांग्रेस से धन के स्रोत पर स्थिति साफ करने को कहा. उन्होंने कहा कि अब साफ हो गया है कि ममता बनर्जी नोटबंदी के खिलाफ क्यों थीं. गोयल ने कहा कि चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार राजनीतिक दलों को अपने खर्चों का हिसाब देना होगा, भले ही वे किसी तीसरे पक्ष से पैसा प्राप्त कर रहे हों. उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार काले धन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कदम उठा रही है और हमें अब पता चल गया है कि कुछ पार्टियां पारदर्शिता और नोटबंदी के खिलाफ क्यों थीं. गोयल ने कहा कि जहां तक पारदर्शिता की बात है तो देश के सभी राजनीतिक दलों को भाजपा के उदाहरण का अनुकरण करना चाहिए. उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों को धर्मनिरपेक्षता और प्रेस की आजादी की आड़ में हर विषय की जांच को ‘राजनीतिक रूप’ नहीं देना चाहिए.
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