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कम नंबर वाले अभ्यर्थियों को कैसे मिली नौकरी : हाइकोर्ट

हाइकोर्ट के न्यायाधीश विश्वजीत बसु ने शनिवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) से यह जानना चाहा कि योग्य उम्मीदवार को वंचित कर कम नंबर पाने वाले को कैसे नौकरी मिल गयी

कोलकाता

. हाइकोर्ट के न्यायाधीश विश्वजीत बसु ने शनिवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) से यह जानना चाहा कि योग्य उम्मीदवार को वंचित कर कम नंबर पाने वाले को कैसे नौकरी मिल गयी. न्यायाधीश ने इस संबंध में एसएससी को हलफनामा देने का निर्देश दिया. बता दें कि उत्तर 24 परगना के बारासात निवासी तारिफ अली ने 2012 में आरएलएसटी के तहत भूगोल विषय के शिक्षक के लिए परीक्षा दी थी. उसे एसएससी की मेधा तालिका में भी स्थान मिला था. उसके वकील आशीष कुमार चौधरी ने कोर्ट को बताया कि मेधा तालिका में उनके मुवक्किल का नाम आने के बाद भी उसे नौकरी नहीं मिली.

आरटीआइ दाखिल कर उसने एसएससी से यह जानकारी मांगी कि उसे कितने नंबर मिले हैं. जून 2023 में उसे बताया कि 52 नंबर मिले थे. लेकिन उसके एकेडमिक स्कोर में दो नंबर कम कर दिये गये थे. उसने दावा किया था कि सही मूल्यांकन होता, तो उसे 54 अंक मिलते.

अधिवक्ता ने दावा किया कि एसएससी के पास लिखित रूप से शिकायत दर्ज करायी गयी थी कि मेधा तालिका में जिसे 52.33 नंबर मिला था, उसे नौकरी दी गयी, लेकिन 54 नंबर पाने वाले तारिफ को नौकरी से वंचित रखा गया. इस शिकायत पर एसएससी की ओर से कोई जवाब नहीं आया. यह सुनने के बाद न्यायाधीश ने कहा कि एसएससी के खिलाफ यह गंभीर आरोप है. एकेडमिक नंबर कैसे कम हो जाता है? अच्छे नंबर होने के बाद भी एक योग्य उम्मीदवार को नौकरी से वंचित रखा गया. न्यायाधीश के सवाल पर एसएससी के वकील ने कहा कि इस मामले की जांच में कुछ समय लगेगा. न्यायाधीश ने इसे लेकर हलफनामा देने का निर्देश दिया. जून के दूसरे सप्ताह में मामले की अगली सुनवाई होगी.

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