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पीएफ इनफोर्समेंट टीम ने की एचसीएल में जांच
रूपनारायनपुर. हिंदुस्तान केबल्स लिमिटेड (एचसीएल) के रूपनारायनपुर इकाई श्रमिकों के पीएफ की बकाया राशि का सम्पूर्ण भुगतान न होने के मुद्दे पर पूर्व श्रमिकों द्वारा की गई शिकायत के आधार पर पीएफ कार्यालय (दुर्गापुर) से इनफोर्समेंट अधिकारी गोपाल कुमार के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम ने एचसीएल कार्यालय में आकर कागजातों की जांच की. सहायक […]
रूपनारायनपुर. हिंदुस्तान केबल्स लिमिटेड (एचसीएल) के रूपनारायनपुर इकाई श्रमिकों के पीएफ की बकाया राशि का सम्पूर्ण भुगतान न होने के मुद्दे पर पूर्व श्रमिकों द्वारा की गई शिकायत के आधार पर पीएफ कार्यालय (दुर्गापुर) से इनफोर्समेंट अधिकारी गोपाल कुमार के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम ने एचसीएल कार्यालय में आकर कागजातों की जांच की. सहायक आयुक्त हरिओम जायसवाल ने कहा कि कंपनी का पीएफ एक्सेम्पसन वर्ष 2012 में समाप्त हो गया, लेकिन प्रबंधन ने श्रमिकों के सम्पूर्ण पीएफ के पैसे का भुगतान पीएफ कार्यालय में जमा नह¨ किया है. पीएफ एक्ट सेवेन ए के तहत मामला दर्ज हुआ है. इसकी जांच के लिए इनफोर्समेंट अधिकारियों की टीम भेजी गई. कंपनी के पास से कितना पैसा लेना है, कंपनी ने कहां, किस खाते में कितना पैसा जमा कर रखा है, कितना पैसा बांड में लगाया है , पैसा का रिकवरी कैसे की जायेगी, इन सब विषयों की जांच हो रही है.
सनद रहे कि एचसीएल में वर्ष 1992 और 1997 में वेज रिवीजन के तहत बढ़े वेतन के आधार पर श्रमिकों के वेतन से 12 प्रतिशत की दर से पीएफ का पैसा काटा गया, उतनी ही राशि प्रबंधन का भी इसमें जुड़ा. बढ़ी राशि पीएफ के खाते में जमा नही हुयी. कंपनी को ट्रस्टी बोर्ड के माध्यम से पीएफ का संचालन अपने यहां करने की एक्सेम्पसन (छूट) थी. पीएफ विभाग में इस मुद्दे पर लगातार शिकायत होने पर जांच पड़ताल के बाद पीएफ विभाग ने कंपनी के पीएफ बोर्ड ऑफ ट्रस्टी के माध्यम से संचालन की छूट 2012 में समाप्त कर दी और पीएफ एक्ट सेवेन ए के तहत मामला दर्ज किया. पीएफ का सारा हिसाब किताब कम्पनी से पीएफ विभाग ने अपने हाथों में ले लिया. लेकिन पैसा पीएफ विभाग को नही मिला. संस्था बंद होने के बाद पूर्व श्रमिकों ने इस मुद्दे पर कंपनी प्रबंधन और संस्था के सीएमडी से लगातार शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई न होने पर श्रमिकों पीएफ विभाग से गुहार लगाई और प्रति माह के दस तारीख को पीएफ विभाग के जनता अदालत में लगातार दो बार उपस्थित होकर मजबूती से अपना पक्ष रखा.
पूर्व श्रमिकों के कानूनी सलाहकार हरिशंकर चट्टोपाध्याय ने कहा कि न्यायमूर्ति को अन्य सभी दस्तावेजों के साथ केंद्रीय भारी उद्योग मंत्नालय ने श्रमिकों के बकाया पीएफ के भुगतान के लिए 59.68 करोड रु पया प्रबंधन को दिया था. 14 जून, 2010 को मंत्नालय के संयुक्त सचिव एमआर बाली ने संस्था के सीएमडी को पत्न भेजकर यह जानना चाहा था कि कम्पनी प्रबंधन के मांग के आधार पर रूपनारायनपुर इकाई के श्रमिकों के पीएफ का बकाया भुगतान के लिए जरूरत से ज्यादा 59.68 करोड़ रुपया आवंटन किया था. जिसके खर्च का व्योरा संयुक्त सचिव ने पत्न में मांगा था.
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