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जेबीसीसीआइ में शामिल होगी एससीसीएल

विवाद. कोयला श्रमिकों के वेतन समझौते के मार्ग की प्रमुख बाधा हटी सीआइएल तथा एससीसीएल के श्रमिकों के दसवें वेतन समझौते के समय पर होने की संभावना पूरी तरह से खत्म हो गयी है. अभी तक जेबीसीसीआइ का गठन भी नहीं हो सका है. एचएमएस नेता एसके पांडेय ने ट्रिब्यूनल के दावे को पूरी तरह […]

विवाद. कोयला श्रमिकों के वेतन समझौते के मार्ग की प्रमुख बाधा हटी
सीआइएल तथा एससीसीएल के श्रमिकों के दसवें वेतन समझौते के समय पर होने की संभावना पूरी तरह से खत्म हो गयी है. अभी तक जेबीसीसीआइ का गठन भी नहीं हो सका है. एचएमएस नेता एसके पांडेय ने ट्रिब्यूनल के दावे को पूरी तरह खारिज करते हुए इस प्रचार को साजिश कहा है. उन्होंने कहा कि कोयला श्रमिकों को आंदोलन का रास्ता अपनाना होगा.
आसनसोल. केंद्रीय मजदूर सभा (एचएमएस) से संबद्ध कोलियरी मजदूर कांग्रेस के महासचिव एसके पांडेय ने कहा कि 10वें जेबीसीसीआइ गठन के लिए बाधाएं दूर होने लगी है तथा केंद्र व तेलंगाना सरकार की संयुक्त स्वामित्व वाली सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) प्रबंधन ने यू-टर्न लेते हुए जेबीसीसीआइ में शामिल होने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि साजिश के तहत प्रचारित किया जा रहा है कि जेबीसीसीआइ के स्थान पर ट्रिब्यूनल का गठन किया जायेगा.उन्होंने कहा कि कोयला श्रमिकों को नये वेतन समझौते के लिए आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ेगा.
महासचिव श्री पांडेय ने कहा कि केंद्र सरकार शुरू से ही कोयला श्रमिकों के नये वेतन समझौते के प्रति गंभीर नहीं है. इस कारण जेबीसीसीआइ गठन की प्रक्रिया लंबित करने के लिए तरह-तरह के सवाल उठाये जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहले कहा गया कि औद्योगिक विवाद अधिनियम (आइडी एक्ट) के तहत जेबीसीसीआइ गठन का प्रावधान नहीं है.
इस कारण कोयला मंत्रलय को जेबीसीसीआइ गठन करने का कोई अधिकार ही नहीं है. इसके पहले सभी नौ जेबीसीसीआइ का गठन केंद्र सरकार ने ही किया था. उस संबंध में कहा गया कि सभी जेबीसीसीआइ गठन का निर्णय गलत था. उन्होंने कहा कि दावा किया जा रहा है कि इसके लिए ट्रिब्यूनल गठन का प्रावधान है तथा इस मामले में हाइ कोर्ट में याचिका दायर की गयी है. उन्होंने कहा कि मूल रूप से किसी भी औद्योगिक संस्थान में कर्मियों के वेतन के निर्धारण के लिए ठ्रिब्यूनल के गठन का प्रावधान ही नहीं है. ट्रिब्यूनल में औद्योगिक विवादों का निपटारा किया जाता है. कोयला श्रमिकों को इससे सतर्क रहने की जरूरत है.
श्री पांडेय ने कहा कि इसके बाद कहा गया कि केंद्र व तेलंगाना सरकार की संयुक्त स्वामित्व वाली सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) प्रबंधन ने जेबीसीसीआइ से अलग रहने का फैसला लिया है.
तेलंगाना राज्य की सत्ताधारी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति के मजदूर संगठन तेलंगाना बोग्गु घनी कार्मिक संगठन ने जेबीसीसीआइ में प्रतिनिधित्व की मांग करते हुए कोल मंत्रलय को पत्र लिखा. कोल मंत्रलय ने प्रतिनिधित्व देने से इंकार कर दिया. इसके बाद कंपनी के सीएमडी ने कोल मंत्रलय को पत्र लिखकर कहा कि सिंगरेनी 10वें जेबीसीसीआइ में शामिल नहीं होगा. वह अपने स्तर से ही वेतन समझौता करेगा. इसके बाद पांचों केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने प्रबंधन के इस निर्णय के विरोध में आंदोलन शुरू कर दिया.
आंदोलन के बढ़ते दबाब के कारण कंपनी प्रबंधन ने यू टर्न लिया. कपनी के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक एन श्रीधर ने जेबीसीसीआइ में शामिल होने के लिये कोल इंडिया प्रबंधन को 14 जून को पत्र लिखा है.
उन्होंने कहा कि पिछले वेतन समझौते की अवधि आगामी 30 जून को समाप्त हो रही है. एक जुलाई से नया वेतन समझौता लागू होना था. इसके लिए सरकार व प्रबंधन पर दबाब बनाने के लिए आंदोलन करना होगा तथा जरूरत पड़ी तो हड़ताल भी करनी होगी.
मुख्य बाधा सदस्यता दावेदारी को लेकर
श्री पांडे ने कहा कि कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने हाल में ही कहा कि जेबीसीसीआइ गठन में मुख्य बाधा यूनियनों की सदस्यता दावेदारी को लेकर है. यदि यूनियन सही स्तर से यूनियन की सदस्यता दे दें तो जेबीसीसीआइ का गठन शीघ्र कर दिया जायेगा.
उन्होंने कहा कि वेतन समझौते को लंबित करने का यह भी एक बहाना है. यूनियनों के बीच सदस्यता का विवाद पहले से ही रहा है. जहां तक कांग्रेस के विभिन्न गुटों के दावों की बात है तो पिछले जेबीसीसीआइ में यह बात सामने आयी थी. इसके बाद भी जेबीसीसीआइ का गठन हुआ था तथा वेतन समझौता भी हुआ था.

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