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मानवीय संवेदना को झकझोरती हैं किसानों की आत्महत्या की घटनाएं

दुर्गापुर : स्थानीय माइकल मधुसुदन मेमोरियल कॉलेज के दो दिवसीय वार्षिकोत्सव पर कॉलेज के 24 विभागों ने विभिन्न थीम को केंद्रित कर प्रदर्शनी लगायी है. इस समारोह का आयोजन कॉलेज छात्र संसद ने किया है तथा विभिन्न विभागों ने अपने-अपने स्तर से इसकी तैयारी की है. प्रदर्शनी का उद्घाटन उपमेयर अमिताभ बनर्जी तथा कॉलेज के […]

दुर्गापुर : स्थानीय माइकल मधुसुदन मेमोरियल कॉलेज के दो दिवसीय वार्षिकोत्सव पर कॉलेज के 24 विभागों ने विभिन्न थीम को केंद्रित कर प्रदर्शनी लगायी है. इस समारोह का आयोजन कॉलेज छात्र संसद ने किया है तथा विभिन्न विभागों ने अपने-अपने स्तर से इसकी तैयारी की है.
प्रदर्शनी का उद्घाटन उपमेयर अमिताभ बनर्जी तथा कॉलेज के प्राचार्य डॉ गुलाम मोहम्मद अलाउद्दीन ने किया. हिंदी विभाग ने भी किसानों की बदहाली को केंद्रित कर प्रदर्शनी लगायी है. थीम के विषय ‘किसान जीवन की त्रसदी और आधुनिक हिंदी कथा साहित्य’ से जुड़े 50 पोस्टर लगाये गये. इसके साथ ही आकर्षक झांकी बनायी गयी है. ग्रामीण परिवेश सृजित करने की सफल कोशिश की गयी है.
हिंदी विभाग की शिक्षिका मीना कुमारी ने बताया कि प्रदर्शनी के माध्यम से देश के किसानों की त्रसदी से जुड़े विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित किया गया है.
आजादी के बाद से ही किसानों के हित में लगातार योजनाएं लागू होती रही हैं तथा नीतियां बनती रही है. लकिन जमीनी सच्चाई यह है कि इस दौर में किसान सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण माहौल में संघर्ष कर रहे हैं. किसानों के सामने अस्तित्व का संकट है तथा लाभकारी मूल्य नहीं मिलने तथा सरकारी संरक्षण न मिलने के कारण कोई भी किसान नहीं बनना चाहता.
कर्ज में डूबे हजारों किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं. यह स्थिति मानवीय संवेदनाओं को झकझोरती है. यही कारण है कि इस वर्ष इस थीम को ही केन्द्रित किया गया है. किसानों के दर्द की दास्तां साहित्य सम्राट मुंशी प्रेमचंद ने ‘गोदान‘ व ‘पंच परमेश्वर’, उपन्यासकार मिथिलेश्वर ने ‘सोना मिट्टी’ और शिवमूत्तर्ि ने ‘पानी का परिहार’ में बखूबी दिखाया है.
किसानों के जीवन से जुड़ा यह दर्द सीधे देश से सवाल करता है कि किसान कब तक कर्ज के बोझ तले दब कर आत्महत्या करते रहेगे?
प्रदर्शनी में मुख्य भूमिका विभाग की स्टूडेंट्स- पूजा राय, नंदिनी शर्मा, दिव्या सिंह, नेहा मंडल, प्रीति गुप्ता, नीतू सिंह, रीतू मिस्त्री, प्रीतम तांती, सोमनाथ पासवान, अमरजीत चौधरी, हेमंत रेड्डी, मुकेश शर्मा, मोहम्मद सलीम, प्रीति राय, अश्रिता अग्रवाल, पूनम पासवान, मनीषा कुमारी, मुक्तिका श्रुति, सिमरन कौर, सीमा साह, प्रीति गुप्ता, खुशबू साह, रिंकू साह,
रूपा कुमारी, राखी कुमारी, शिल्पी कुमारी, विष्णु कुमारी थापा, पूजा सिंह, वरूण कुमार झा, देवाशीष मंडल, राखी राय, पूजा कुमारी शर्मा, इन्दू प्रसाद, कुमारी सत्यम, आरती कुमारी, अर्चना कुमारी, अंजना कुमारी व यासमीन परवीन आदि सक्रिय थी. इनका नेतृत्व हिंदी विभाग की शिक्षिका सुश्री कुमारी व शिक्षक वृजेन्द्र अवस्थी ने किया.

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