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सिंगारन का अस्तित्व खतरे में

हरिपुर : अंडाल प्रखंड के काजोड़ा मोड़ होती हुई बहने वाली वर्षो पुरानी सिंगारण नदी का अस्तित्व खतरे में है. कुछ उद्योगपति नदी में छाई मिट्टी भराई कर उद्योग लगाना चाहते है. पुरे अंडाल इलाके का पानी इस नदी में गिरता है. काजोड़ा मोड़ ब्रिज के नीचे से यह नदी हरिशपुर मौजा से गुजरती है. […]

हरिपुर : अंडाल प्रखंड के काजोड़ा मोड़ होती हुई बहने वाली वर्षो पुरानी सिंगारण नदी का अस्तित्व खतरे में है. कुछ उद्योगपति नदी में छाई मिट्टी भराई कर उद्योग लगाना चाहते है.
पुरे अंडाल इलाके का पानी इस नदी में गिरता है. काजोड़ा मोड़ ब्रिज के नीचे से यह नदी हरिशपुर मौजा से गुजरती है. काजोड़ा मोड़ के पास इसका दायरा काफी बड़ा है. यहां पानीफल की खेती होती थी. लेकिन पिछले वर्षो से एमटीएम कंपनी द्वारा छाई और मिट्टी भराई होने के बाद खेती बंद हो गयी. नदी की चौड़ायी बहुत कम हो गयी है. अगर इस पर जल्द कोई कार्रवाई नहीं हुयी तो नदी का विलुप्त होने का खतरा है. एमटीएम के महाप्रबंधक पंकज शर्मा ने इस संबंध में कुछ भी बताने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि अपनी जमीन पर मिट्टी व छाई की भराई की गयी है. इस संबंध में स्थानीय लोगों का कहना है कि इस नदी के बहाव से सभी को लाभ मिलता है. जानवरों को पीने का पानी मिलता है.
मवेशी भी इसका पानी पीते थे. लेकिन जबसे नदी की भराई शुरु की गयी है, नदी का आकार छोटा हो गया है.पानी बहने का स्थान संकरा हो गया है. अंडाल के बीएलआरओ अनिर्वाण विश्वास का कहना है कि हरिशपुर मौजा 1370 दाग नंबर में कुछ मिट्टी भराई का काम चल रहा है. लेकिन नदी भराई की जानकारी नही है. वे स्वयं इसका निरीक्षण करेंगे. जरुरत पड़ी तो इसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. क्योंकि नदी या तालाब भराई करने का अधिकार किसी को नहीं है.

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