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जोर आजमाइश : महकमाशासक कार्यालय के समक्ष आदिवासियों का प्रदर्शन
आसनसोल : डामरा व आसपास के इलाके में वर्षो से आदिवासी समुदाय जिस जमीन पर घर बना कर रह रहा हैं, उस जमीन की बंदोबस्ती उनके नाम करने व जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने की प्रक्रिया सरल करने सहित विभिन्न मांगों के समर्थन में तृणमूल के बैनर तले सैक ड़ों आदिवासियों ने गुरुवार को महकमाशासक […]
आसनसोल : डामरा व आसपास के इलाके में वर्षो से आदिवासी समुदाय जिस जमीन पर घर बना कर रह रहा हैं, उस जमीन की बंदोबस्ती उनके नाम करने व जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने की प्रक्रिया सरल करने सहित विभिन्न मांगों के समर्थन में तृणमूल के बैनर तले सैक ड़ों आदिवासियों ने गुरुवार को महकमाशासक अमिताभ दास के कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया तथा श्री दास को ज्ञापन सौंपा.
इसके पहले बीएनआर मोड़ से जुलूस निकाला गया. इसका नेतृत्व पाटीई के जिला कार्यकारी अध्यक्ष वी शिवदासन उर्फ दासू, आसनसोल नगर निगम के पूर्व चेयरमैन जितेंद्र तिवारी, पूर्व एमएमआइसी लखन ठाकुर तथा पूर्व बोरो चेयरमैन भरत दास आदि ने किया. प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुये पूर्व चेयरमैन श्री तिवारी ने बताया कि वार्ड नंबर 33, 34, 35 आदि क्षेत्रों में वर्षो से अदिवासी समुदाय के हजारों परिवार सरकारी जमीन पर घर बना कर रह रहे हैं.
उक्त जमीन पहले इसीएल की थी और फिर बाद में सर्वे करने पर पता चला कि राज्य सरकार की है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी घोषणा कर रखी है कि जिस जमीन पर दशककों से आदिवासी निवास कर रहे हैं, राज्य सरकार कल्याणकारी योजना के तहत उक्त जमीन का पट्टा उन आदिवासियों को दी जायेगी. उन्होंने कहा कि सरकारी स्तर पर इस घोषणा को अमलीजामा पहना ने की जरूरत है. ताकि वर्षो से घर बना कर रहने वाले आदिवासी समुदाय को भविष्य में कभी नहीं हटाया जाय. उन्होंने कहा कि इसके लिए आदिवासी समाज दशकों से आंदोलन करता रहा है.
वामफ्रंट के शासन काल से ही आदिवासियों द्वारा यह मांग की गयी थी, लेकिन वामपंथी नेता तरह-तरह के बहाने बना कर इस मुद्दे को टालते रहे, ताकि आदिवासियों अपने अधिकार में रख सके. उन्होंने इनका उपयोग वोट बैंक के रूप में किया तथा इनका विकास कर मुख्य धारा से जोड़ने की कोई कोशिश नहीं की. उन्होंने कहा कि आदिवासी युवक-युवतियों की शिकायत रही है कि पढ़ाई व नौकरी के मामले में जाति प्रमाण पत्र की आवश्यकता होने पर उन्हें कार्यालय में काफी परेशानी होती है.
अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को जाति प्रमाण पत्र बनाने के दौरान तरह-तरह के कागजात के नाम पर काफी परेशान किया जाता है, इसे बंद किया जाये. जाति प्रमाण पत्र बनाने के नियम को सरल किया जाये. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पूरी तरह से किसानों के हितों के प्रतिकूल है. यह अध्यादेश किसान विरोधी है. कृषि प्रधान भारत में इस तरह के भूमि अध्यादेश को कोई औचित्य ही नहीं है. यह अंग्रेजों के जमाने का कानून है.
प्रदर्शनकारियों का शिष्टमंडल श्री दासू के नेतृत्व में महकमाशासक श्री दास से मिला तथा मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा. उन्होंने कहा कि मांगों के निष्पादन ककी दिशा में सार्थक पहल होनी चाहिए. महकममाशासक श्री दास ने कहा कि वरीय अधिकारियों से निर्देश लेकर शीघ्र कार्रवाई की जायेगी.
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