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वीआरएस लेनेवाले 265 कोल कर्मियों के आवेदन पर लगी रोक

सांकतोड़िया : कोल इंडिया में ब्यूरो पब्लिक इंटरप्राइजेज स्कीम के तहत वीआरएस लेने वाले 265 कोल कर्मियों के आवेदन पर रोक लगा दी गई है. इसीएल सूत्रों ने बताया कि कोल इंडिया से अनुमति नहीं मिलने के बाद इसे फिलहाल रद्द कर दिया गया है. ये सारे कर्मी इसीएल के थे, जो विभिन्न एरिया में […]

सांकतोड़िया : कोल इंडिया में ब्यूरो पब्लिक इंटरप्राइजेज स्कीम के तहत वीआरएस लेने वाले 265 कोल कर्मियों के आवेदन पर रोक लगा दी गई है. इसीएल सूत्रों ने बताया कि कोल इंडिया से अनुमति नहीं मिलने के बाद इसे फिलहाल रद्द कर दिया गया है. ये सारे कर्मी इसीएल के थे, जो विभिन्न एरिया में पदस्थापित थे.
वैसे तो केंद्र सरकार ने इस स्कीम को सभी कोल कंपनियों में लागू करने का आदेश दिया था लेकिन तकनीकी कारणों से बाद में इस पर रोक लगा दी गई. केवल इसीएल में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की अनुमति के बाद इसे चालू रखा गया था. जिसे 2019 के आखिर में बंद करने का निर्णय लिया गया.
जानकार बताते हैं कि वैसे तो इस स्कीम के तहत पूरे कोल इंडिया में दो हजार से अधिक आवेदन आए थे. लेकिन अन्य कंपनियों में स्कीम पर रोक के कारण आवेदन को आगे नहीं बढ़ाया गया. कोल इंडिया ने पूर्व में श्रमशक्ति को कम करने के लिए करीब बीस हजार कर्मियों और अधिकारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी वीआरएस देने की तैयारी की थी. लेकिन फंड सहित अन्य कारणों से इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका है.
30 साल पहले भी आयी थी स्कीम
कोल इंडिया का मैनपावर जब चार लाख के करीब था. उत्पादन भूमिगत खदान से करने में अधिक लागत आ रही थी. उस समय 1990 में भी गोल्डन स्कीम चालू किया गया था. इस स्कीम के तहत भी उस समय भी 15 साल के दौरान करीब 32 हजार कर्मियों ने वीआरएस दिया था. फंड की कमी मुख्य कारण बताया जाता है कि फंड की कमी मुख्य कारण है.
स्कीम की सुविधा के अलावा पीएफ बढ़ोतरी, ग्रेच्युटी, मेडिकल सुविधा आदि में अधिक राशि खर्च हो रही थी. करोड़ों रुपये का बोझ कंपनी पर पड़ रहा था. मौजूदा समय में इसीएल की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं होना भी है. इसीएल में 265 आवेदन वीआरएस के लिए आया था. कोल इंडिया से अनुमति नहीं मिलने के बाद उसे रद्द कर दिया गया. स्कीम के तहत 30 साल नौकरी होने पर 45 माह का भुगतान सहित अन्य सुविधा थी.

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