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कुल्टी से 40 हजार मतों की बढ़त लेना बाबुल के लिए मुख्य चुनौती

आसनसोल : आसनसोल संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी बाबुल सुप्रियो को दूसरी बार अपनी जीत दुहराने के लिए कुल्टी विधानसभा क्षेत्र की 40 हजार मतों की बढ़त को न सिर्फ बरकरार रखना होगा, बल्कि इसमें वृद्धि भी करनी होगी. हालांकि बीते पांच वर्षों में दामोदर नदी में काफी पानी बहा है. पिछली बार उन्हें तृणमूल […]

आसनसोल : आसनसोल संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी बाबुल सुप्रियो को दूसरी बार अपनी जीत दुहराने के लिए कुल्टी विधानसभा क्षेत्र की 40 हजार मतों की बढ़त को न सिर्फ बरकरार रखना होगा, बल्कि इसमें वृद्धि भी करनी होगी. हालांकि बीते पांच वर्षों में दामोदर नदी में काफी पानी बहा है.

पिछली बार उन्हें तृणमूल की भीतरघात तथा वाममोर्चा के एक मजबूत धड़े का समर्थन हासिल हुआ था. लेकिन इस बार उस दल का जनाधार काफी सिकुड़ गया है. इस बढ़त को बनाये रखना कठिन चुनौती साबित हो सकती है.
वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी बाबुल सुप्रिय को 38 फीसदी मत यानी 4,19,983 मत मिले थे. दूसरे स्थान पर तृणमूल की दोला सेन रही थी. उन्हें 32 फीसदी यानी 3,49,503 मत मिले थे.
कुल 14 प्रत्याशियों में वाममोर्चा प्रत्याशी वंशगोपाल चौधरी को 22 फीसदी यानी 2,55,829 मत मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे था. कांग्रेस सहित बाकी अन्य प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी. 70 हजार मतों के अंतर से भाजपा की जीत में 40 हजार मतों की महत्वपूर्ण लीड अकेले कुल्टी विधानसभा क्षेत्र से ही मिली थी.
कुल्टी विधानसभा क्षेत्र में कुल 1,59,975 मतों में से भाजपा को 80,848 मत, तृणमूल को 40,563 मत, वाममोर्चा को 18,625 मत तथा कांग्रेस को 10,264 मत मिले थे. विधानसभा क्षेत्र के कुल 258 बूथों में से भाजपा को 208 बूथों, तृणमूल को 46 बूथों पर तथा वाममोर्चा को मात्र पांच बूथों पर बढ़त मिली थी.
तृणमूल को बूथ संख्या 16, 17, 34, 38, 46, 49, 50, 51, 52, 53, 54, 55, 60, 61, 68, 77, 78, 79, 80, 81, 100, 101, 102, 120, 125, 140, 154, 161, 163, 166, 182, 192, 195, 196, 197, 211, 217, 220, 225, 230, 231, 235, 236, 244, 251, 256 में तथा वाममोर्चा को बूथ संख्या 05, 80, 111, 127 तथा 256 पर बढ़त मिली थी.
बूथ संख्या 256 पर तृणमूल तथा वाममोर्चा को समान मत मिले थे. तृणमूल तथा वाममोर्चा को बढ़त देनेवाले बूथ अधिसंख्य अल्पसंख्यक इलाकों के थे. बहुसंख्यक बूथों पर भाजपा की निर्णायक बढ़त मिली थी. भाजपा को 50 फीसदी से अधिक मत मिले थे.
हालांकि वर्ष 2011 में हुए विधानसभा चुनाव में कुल्टी विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल के उज्जवल चटर्जी ने वाममोर्चा घटक फॉरवर्ड ब्लॉक के माणिक आचार्या को हरा कर जीत दर्ज की थी. तृणमूल को 77,610 मत मिले, जबकि वाममोर्चा को 49,044 मत मिले थे. भाजपा प्रत्याशी विवेकानंद को 5,666 मत ही मिले थे.
लेकिन वर्ष 2014 के संसदीय चुनाव में नरेन्द्र मोदी की सुनामी आई तथा कुल्टी विधानसभा क्षेत्र से अप्रत्याशित चुनाव परिणाम सामने आये. तृणमूल के मतों में गिरावट तो आई ही, वाममोर्चा को भारी झटका लगा.
राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार श्री मोदी की सुनामी के साथ ही तृणमूल तथा वाममोर्चा के भीतर काफी भीतरघात हुआ तथा इसका सीधा लाभ भाजपा को मिला.
चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा प्रत्याशी श्री सुप्रिय ने विधानसभा क्षेत्र में व्याप्त जल संकट को चुनावी मुद्दा बनाया था. इस मुद्दे पर उन्हें भारी समर्थन भी मिला था. उन्होंने घोषणा की थी कि चुनाव जीतने के बाद कुल्टी विधानसभा क्षेत्र के जल संकट को दूर करना ही उनकी प्राथमिकता होगी.
भाजपा के लिए मुख्य परेशानी राजनीतिक तथा वादा के मुद्दे पर है. पिछले नगर निगम चुनाव तथा विधानसभा चुनाव में वाममोर्चा के मतों में भारी कमी आई है.
भाजपा ने नगर निगम चुनाव में भले ही कमजोर प्रदर्शन किया लेकिन विधानसभा चुनाव में वह दूसरे स्थान पर रही. हालांकि मतों की संख्या 50 हजार के करीब सिमट गई. इन चुनावों में तृणमूल ने अपने मतों में काफी वृद्धि की है.
भाजपा को इस बार सिमटे वाममोर्चा के खेमे से कोई भीतरघात का लाभ मिलने की संभावना काफी कम है. यदि उन्हें फायदा मिल सकता है तो तृणमूल के अंदरूनी विवाद का. तृणमूल में अंदरूनी विवाद दिखने भी लगा है. लेकिन कौन सा गुट भीतरघात करेगा, यह स्पष्ट नहीं है.
नागरिक समस्याओं के समाधान के नाम पर भी भाजपा के पास अधिक कुछ नहीं है. नगर निगम के स्तर से 225 करोड़ रूपये की लागत की दो चरणोंवाली जल परियोजना को क्रियान्वित किया गया है.
रिजर्बर बना कर पाइप लाइन से घर-घर पानी कनेक्शन देने के लिए आवेदन भी जमा ले लिये गये हैं. चुनाव बाद इसके उद्घाटन की घोषणा की गई है. कई वार्डों में समर्सिबुल पंप लगाये गये हैं. जल समस्या के समाधान का श्रेय तृणमूल नेता ले रहे हैं.
भाजपा प्रत्याशी बाबुल सुप्रिय ने कहा है कि पानी के नाम पर तृणमूल नेता राजनीति कर रहे हैं. इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार ने राशि आवंटित की है. राज्य सरकार तथा तृणमूल नेता इसे अपना बता गलतबयानी कर रहे हैं. अब देखना यह होगा कि जल संकट समाधान का श्रेय जनता किसे देती है.

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