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नामोकेशिया में अंतिम बार प्रयास करेगा जिला प्रशासन, डीएम को ग्रामीणों का ज्ञापन
आसनसोल : सालानपुर प्रखण्ड के नामोकेशिया इलाके में रानीगंज कोलफील्ड एरिया पुनर्वास परियोजना का आदिवासियों के द्वारा लगातार विरोध किये जाने के बाद जिला प्रशासन ने वैकल्पिक स्थल के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी. इधर इसकी सूचना मिलने के बाद इलाके के गैर आदिवासी लोगों ने कार्य जल्द आरम्भ करने की मांग के समर्थन […]
आसनसोल : सालानपुर प्रखण्ड के नामोकेशिया इलाके में रानीगंज कोलफील्ड एरिया पुनर्वास परियोजना का आदिवासियों के द्वारा लगातार विरोध किये जाने के बाद जिला प्रशासन ने वैकल्पिक स्थल के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी. इधर इसकी सूचना मिलने के बाद इलाके के गैर आदिवासी लोगों ने कार्य जल्द आरम्भ करने की मांग के समर्थन में सोमवार को जिलाशासक शशांक सेठी को ज्ञापन सौंपा.
पुनर्वास परियोजना का कार्य स्थानीय आदिवासियों के विरोध के कारण पिछले सात माह से बंद है. जिलाशासक श्री सेठी ने आश्वासन दिया कि उनकी मांग को देखते हुए परियोजना का कार्य पुनः एकबार आरम्भ करने को लेकर प्रयास किया जायेगा. स्थानीय कार्तिक चौधरी, रतन सरकार, शुभम भारती, मिथुन दत्ता सहित दर्जनों ग्रामीण उपस्थित थे.
सनद रहे कि 14 मार्च को नामोकेशिय में ब्रिज एंड रूफ कंपनी ने रानीगंज पुनर्वास परियोजना के तहत यहां कार्य आरंभ किया था. इस परियोजना में 26.5 एकड़ सरकारी जमीन पर 117 करोड़ रुपये की लागत से कुल 1904 आवास बनेंगे. कार्य आरंभ होते ही आदिवासियों ने इसका विरोध शुरू किया और कार्य कर रहे कर्मियों की पिटाई कर दी थी.
जिसमें छह कर्मी बुरी तरह घायल हो गये थे. जिसके उपरान्त कंपनी ने यहां कार्य बंद कर दिया तथा सारा सामान और कर्मियों को लेकर वापस लौट गयी. कार्य आरंभ करने के लिए राजनैतिक, प्रशासनिक और पुलिस के स्तर से भी प्रयास हुआ. हर प्रयास विफल रहा. तीन माह पहले भारी पुलिस बल की मौजूदगी में यहां जमीन की घेराबंदी का कार्य हुआ.
तीन दिन कार्य होते ही पुलिस की रिपोर्ट में किसी खतरे की आशंका का जिक्र होते ही कार्य रोक दिया गया. जिसके बाद से कार्य बंद है. महकमा शासक श्री रायचौधरी ने तीन बार सालानपुर प्रखण्ड कार्यालय में आदिवासियों के साथ बैठक करने की कोशिश की. एक भी बैठक में आदिवासी नहीं आये. आखिरकार श्री रायचौधरी ने नामोकेशिया में जाकर आदिवासियों के साथ बैठक की. वह बैठक बेनतीजा रही.
आदिवासियों का कहना है कि इस जमीन पर उनके पशु चरते हैं. उनलोगों का परिवार भी बढ़ रहा है. यदि इस जमीन पर निर्माण हो गया तो उनके पशु कहां चरेंगे? उनके बच्चे बड़े होकर कहां रहेंगे? इसलिए इस जमीन पर किसी प्रकार का कार्य नहीं होने देंगे.
आदिवासियों से बैठक विफल होते ही प्रशासन ने इस प्रोजेक्ट का लोकेशन बदलने को लेकर कार्य आरम्भ किया. जिसकी सूचना स्थानीय गैर आदिवासी लोगों को मिलते ही वे इस प्रोजेक्ट के पक्ष में लोगों को गोलबंद कर सोमवार को जिलाशासक श्री सेठी को ज्ञापन दिया. श्री सेठी ने उनसे आधा घंटा बात की और आश्वासन दिया कि इतने लोग यदि इस परियोजना के पक्ष में हैं तो प्रशासन लोकेशन बदलने से पूर्व कार्य आरंभ करने का एक प्रयास करेगी.
स्थानीय कार्तिक चौधरी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के बनने से स्थानीय सैकड़ो बेकारों को कार्य मिलेगा. दो हजार लोगों का आवासीय नगरी बनने से इलाके में व्यवसाय बढ़ेगा और सैकड़ों लोग व्यवसाय कर अपनी रोजी रोटी चला पायेंगे. कुछ लोग व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण इस प्रोजेक्ट के कार्य मे रोड़ा डाल रहे है. स्थानीय हजारों लोग इस प्रोजेक्ट के पक्ष में है.
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